उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक महिला को साढ़े सात साल की जेल की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही महिला पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. महिला ने दो लोगों को फंसाने क लिए उन पर झूठा गैंगरेप का मामला दर्ज कराया था. इसके साथ ही उसने दोनों पर महिला को धमकाने का भी आरोप लगाया था. अब कोर्ट ने महिला को मामले में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है.
दरअसल, बाराबंकी के जैदपुर की रहने वाली एक महिला ने साल 2021 में दो लोगों के खिलाफ गैंगरेप और जानमाल की धमकी का केस दर्ज कराया था. महिला ने एससी-एसटी का झूठा मुकदमा दर्ज कराया था, जिसका खामियाजा अब उसे जेल की सजा काटकर भुगतना पड़ेगा. महिला ने थाना जैदपुर में राजेश और भूपेंद्र नाम के दोनों शख्स के खिलाफ ये मामला दर्ज कराया था.
फंसाने के लिए दर्ज कराया फर्जी मुकदमा
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब इस मामले को विवेचना के लिए लखनऊ ट्रांसफर किया गया. ये मामला एससी एसटी एक्ट का था. इसलिए इसकी विवेचना क्षेत्राधिकारी बीकेटी ने की. मामले की जांच की गई तो पता चला कि महिला ने राजेश और भूपेंद्र को फंसाने के लिए फर्जी मुकदमा दर्ज कराया है. इसके बाद दोनों आरोपितों क्लीन चिट दे दी गई. वहीं महिला के खिलाफ एक्शन लिया गया.
मुआवजे की रकम आरोपित को दी जाए
महिला को लखनऊ में एससी एसटी एक्ट के स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने महिला को सात साल की सजा सुनाते हुए 2 लाख एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया. हालांकि जांच के दौरान एक आरोपित भूपेंद्र की मौत हो गई थी. कोर्ट ने आदेश दिया कि दिवंगत भूपेंद्र के उत्तराधिकारियों को भी मुआवजे की रकम का एक हिस्सा दिया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि FIR दर्ज कराने के बाद सरकारी धन राशि नहीं देनी है, जब तक पुलिस चार्जशीट दाखिल न कर दे. तुरंत राशि दिए जाने से झूठे मुकदमे दर्ज करने का ट्रेंड बढ़ रहा है. जब चार्जशीट दाखिल होने के बाद राशि दी जाएगी तो इस पर रोक लग सकेगी.