लखनऊ पुलिस ने एक ऐसे फर्जी आईएएस अधिकारी का भंडाफोड़ किया है, जो महंगी गाड़ियों के काफिले और वीआईपी प्रोटोकॉल का इस्तेमाल कर खुद को बड़े अधिकारी के रूप में पेश करता था। आरोपी का नाम सौरभ त्रिपाठी है, जिसने कई महीनों तक लोगों को धोखे में रखकर न केवल रसूखदार पहचान बनाई बल्कि अफसरशाही जैसी जिंदगी भी जी।
पुलिस जांच में सामने आया कि सौरभ त्रिपाठी अक्सर डिफेंडर और फॉर्च्यूनर जैसी लग्जरी गाड़ियों में घूमता था। गाड़ियों पर लाल-नीली बत्तियां लगी होती थीं और पूरा काफिला किसी असली बड़े अफसर की तरह सड़क पर चलता था। स्थानीय लोग और यहां तक कि कई सरकारी कर्मचारी भी उसे सचमुच का आईएएस समझ बैठते थे। वह अपने साथ सुरक्षाकर्मियों जैसी टीम भी रखता था, जो उसे और ज्यादा प्रभावशाली दिखाती थी।
सूत्रों के मुताबिक, आरोपी ने फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर कई जगहों पर सरकारी ठेकों और फायदे लेने की कोशिश की। उसने खुद को 2018 बैच का आईएएस अधिकारी बताया और कई जगह सरकारी अधिकारियों से मुलाकात भी की। यहां तक कि प्रोटोकॉल के जरिए उसे कार्यक्रमों में विशेष मेहमान जैसा सम्मान भी मिल जाता था।
पुलिस को शक तब हुआ जब कुछ अफसरों ने उसकी पहचान की पुष्टि करनी चाही। आधिकारिक रिकॉर्ड चेक करने पर पता चला कि सौरभ त्रिपाठी नाम का कोई आईएएस अफसर ही नहीं है। इसके बाद लखनऊ पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और सरकारी पद का गलत इस्तेमाल करने जैसे कई गंभीर मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने उसकी लग्जरी गाड़ियां और वीआईपी उपकरण भी जब्त कर लिए हैं। पूछताछ में वह अपने आपको बचाने की कोशिश करता रहा, लेकिन सबूतों के सामने उसकी चालाकी ज्यादा देर नहीं टिक सकी।
यह मामला सामने आने के बाद प्रशासन और पुलिस अलर्ट हो गए हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिर इतने लंबे समय तक वह कैसे आसानी से लोगों को गुमराह करता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी। लखनऊ की सड़कों पर फर्जी IAS का यह खेल अब खत्म हो चुका है, लेकिन इस घटना ने सुरक्षा और प्रोटोकॉल सिस्टम पर कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।