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मौत का सर्टिफिकेट लेकर पहुंचे परिजन, ICU में जिंदा मिला 66 वर्षीय मरीज

मध्य प्रदेश : जबलपुर संभाग के सबसे बड़े मेडिकल अस्पताल नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों की गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है. मेडिकल अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग के सर्जरी आईसीयू वार्ड नंबर 32 में भर्ती 66 वर्षीय मरीज इंद्रजीत शुक्ला को डॉक्टरों ने कागजों में मृत घोषित कर दिया.

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जबकि वह जिंदा हैं और उनका इलाज चल रहा है. मरीज को उनके परिजनों ने गंभीर हालत में इलाज के लिए भर्ती कराया था, लेकिन 27 जनवरी की शाम 7:30 बजे डॉक्टरों ने उनकी मृत्यु का प्रमाण पत्र जारी कर दिया.

वही मरीज के जिंदा होने के बावजूद मृत्यु रिपोर्ट जारी होने पर परिजनों ने आपत्ति दर्ज कराई है वही मरीज के परिजनों का आरोप है कि मरीज अभी भी जिंदा है और जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं, जिसका वीडियो भी सामने आया है.

इस गलती के बाद डॉक्टरों ने मरीज का इलाज रोक दिया और परिजनों को उसे किसी अन्य अस्पताल में ले जाने की सलाह दी जा रही है. पीड़ित के बेटे आयुष्मान शुक्ला ने इस लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताई और इसे मरीज की जान के साथ खिलवाड़ बताया. आयुष्मान ने बताया कि ड्यूटी में तैनात महिला डॉक्टर ने आज उन्हें एक कागज थमा दिया जिसमे लिखा है आपके पिता की मौत हो गई.

जिसके बाद वह सदमे में आ गए और भागते हुए वार्ड में पहुँचे जहां देखा कि पिताजी सही सलामत है. इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली और मरीजों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं लेकिन अस्पताल में हुई इस चूक ने परिजनों को गहरा आघात पहुंचाया है. घटना ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी गंभीर बहस छेड़ दी है. मरीज और परिजन अब न्याय और उचित उपचार की उम्मीद कर रहे हैं.

मेडिकल अधीक्षक डॉक्टर अरविंद शर्मा

यह पूरा घटनाक्रम डॉक्टरों की लापरवाही को दिखाता है. इतना ही नहीं हठधर्मिता करते हुए मरीज को इसी अवस्था में घर ले जाने का दबाव बनाया गया, ताकि डेथ सर्टिफिकेट बना देने वाला मामला दब जाए. नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ अरविंद शर्मा का कहना है कि इस पूर मामले कि सर्जरी विभागाध्यक्ष से जांच रिपोर्ट मांगी गई है. एक प्रकार से यह मानवीय भूल भी हो सकती है.

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