किसान को 30 साल बाद वापस मिली आंखों की रोशनी:खेत पर काम करते समय खोई थी, बहू-पोते को देख हुए भावुक; कहा- नई जिंदगी मिली

पाली के किसान अकबर काठात की 25 साल की उम्र में खेत में काम करते समय खांसी के साथ अचानक आंखों की रोशनी चली गई। 30 साल तक अंधेरे में जीवन बिताने वाले अकबर बेटे की शादी तक नहीं देख पाए। एक साल के पोते का चेहरा देखने के लिए तरस रहे किसान को 61 साल की उम्र में आंखों की रोशनी वापस मिल गई।

5 अगस्त को अजमेर के जेएलएन अस्पताल में किसान की आंख का जटिल ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन में करीब एक घंटे का समय लगा। डॉक्टरों का कहना है कि अकबर काठात अभी 3 मीटर तक देख सकते हैं। आगे धीरे-धीरे उनकी और रोशनी बढ़ेगी।

मरीज ने आंखों की रोशनी पर कहा-

ऑपरेशन सक्सेसफुल होने के बाद ऐसा लगा कि मैं एक नई जिंदगी जी रहा हूं। पहली बार मैंने अपने 1 साल के पोते और बेटे की बहू को देखा। मेरी कुर्सी के आसपास तीन लोग बैठे थे। अब मुझे सारी चीज दिख रही थी। मुझे अच्छा लग रहा है।

खेत पर काम करते हुए गई रोशनी पाली निवासी अकबर काठात ने बताया कि 25 साल की उम्र में खेत पर काम करते समय उनकी आंखों में थोड़ी समस्या थी, जिसे उन्होंने नजरअंदाज कर दिया। एक दिन खेत पर काम करते वक्त अचानक खांसी आई और आंखों की रोशनी कम हो गई। अगली सुबह उठे तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। परिवार हरकत में आ गया।

मेडिकल में पास नहीं हुई तो सदमे में था अकबर अकबर ने बताया कि उन्होंने रेलवे की नौकरी के लिए वह मेडिकल देने गए थे। लेकिन उन्हें फेल कर दिया था। 1981 में उन्होंने रेलवे की नौकरी के लिए मेडिकल दिया था। मेडिकल में पास नहीं होने के बाद से वह सदमे में आ गए थे। जिसके कारण ही उनकी यह आंखों की रोशनी चली गई।

एक महीने तक ऑब्जर्वेशन में रखा रायपुर तहसील के रहने वाले अकबर ने पाली, ब्यावर, जयपुर और अजमेर के कई निजी व सरकारी अस्पतालों में दिखाया। सभी डॉक्टरों ने कह दिया कि इलाज संभव नहीं है। एक महीने पहले जेएलएन अस्पताल में डॉक्टर अंकुर से मिले। तीन दिन दवा देने के बाद भर्ती किया और एक महीने तक ऑब्जर्वेशन में रखा।

पोते और बहू को पहली बार देखने के बाद अस्पताल स्टाफ ने वीडियो बनाया। अकबर ने कहा- डॉक्टरों ने कह दिया था कि भारत के किसी भी कोने में जाओ, इलाज नहीं होगा। डॉक्टर साहब, आप नहीं होते तो मेरी जिंदगी मरी हुई थी।

स्टाफ ने भावुक होते हुए वीडियो बनाया पहली बार पोते और बहू को देखने के बाद अस्पताल के स्टाफ के द्वारा उनका वीडियो बनाया गया। जिसमें मरीज अकबर ने कहा कि उन्होंने अपने पोते और बहू को पहली बार देखा है। वीडियो में अकबर ने कहा कि उसे डॉक्टर तक ने यह कह दिया था कि भारत के कोई से भी कोने में चला जा तेरा इलाज नहीं होगा। अकबर ने आगे कहा कि अगर डॉक्टर साहब आप नहीं होते तो मेरी जिंदगी मरी हुई थी।

यूवाइटिस के कारण दोनों आंखों में मोतियाबिंद की समस्या डॉक्टर सोनू चौधरी ने बताया कि 1 महीने पहले पेशेंट हमारे पास आया था। 30 साल पहले क्रोनिक यूवाइटिस के नाम से बीमारी हो गई थी। जिससे इनको देखना बंद हो गया था। कई जगह पर इन्होंने दिखाया लेकिन इनका इलाज नहीं हो पाया था।

जेएलएन अस्पताल आने पर उनके सोनोग्राफी करवाई गई। इस बीमारी के कारण नजर चली जाती है। आंखें कमजोर हो जाती है। पर्दा तक खराब हो जाता है। करीब 1 महीने तक इन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट पर लिया गया। इस दौरान आंखों की सूजन को कम किया गया।

विभाग अध्यक्ष डॉक्टर राकेश पोरवाल, डॉ अंकुर के नेतृत्व में टीम के द्वारा मरीज का ऑपरेशन किया गया। करीब आधे घंटे तक यह ऑपरेशन चला था। ऑपरेशन के बाद से अब वह 3 मीटर तक देख सकते हैं। आगे धीरे-धीरे उनकी और रोशनी बढ़ेगी। जब मरीज ने अपने पोते और बहू को पहली बार देखा तो हमारी टीम भी भावुक हो गई थी।

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