गोंडा : पूर्वांचल के किसान पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नई तकनीक अपनाकर अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं तो ये खबर किसान जरूर पढ़ें. चूंकि धान, गेहूं और बाजरा की खेती को छोड़कर पूर्वांचल के गोंडा में कुछ किसानों ने सब्जियों की खेती करके अपनी आय बढ़ा रहे हैं. ऐसा करके आप भी आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं.आइए जानते हैं कि सब्जियों की खेती करने के क्या तरीके और गुर हैं, जिससे आर्थिक संपन्नता आ सकती है.
गोंडा में वजीरगंज के किसान नई तकनीक से हो रहे मालामाल
गोंडा जिले के वजीरगंज विकास खंड क्षेत्र के खेतों में लहलहाती सब्जी की खेती के मुनाफे से सैकड़ों परिवारों के लिए खुशहाल जीवन का मजबूत आधार बना है. कभी आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसान अब मौसमी सब्जियों से मिली आमदनी के सहारे उन्नत एवं खुशहाल जीवन गुजार रहे हैं. सुबह से शाम तक खेत में खून पसीना बहाकर किसान अब पूर्वांचल के गांवों के किसानों के लिए नजीर बन गए हैं. किसान पारंपरिक धान, गेहूं ,बाजरा की खेती छोड़कर सब्जी की खेती पर जोर देने लगे हैं. यही वजह है कि यहां के विभिन्न गांवों में किसान सब्जी की खेती कर खुशहाल हो रहे हैं। यहां के किसानों द्वारा उत्पादित सब्जी जिले में ही नहीं दूसरे जिले में भी भेजी जा रही है.
कम लागत से अच्छा मुनाफा
वजीरगंज विकास खंड के जमादारपुरवा गांव के एक दो किसान नहीं बल्कि सैकड़ों किसान सब्जी की खेती करने में जुट गए हैं। भिंडी, तरोई, लौकी, कद्दू , बैंगन, मिर्च, शलजम, करेला ,गाजर, पत्ता गोभी, फूल गोभी आदि की खेती कम जमीन में ही कर कम लागत में अधिक अधिक उत्पादन कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. सब्जी की खेती से यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है. सब्जी की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि एक बीघा करेला लगाने में 20 हजार रुपये लागत लगती है. यदि फसल अच्छी तरह से तैयार हो जाती है तो अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है.
अच्छा मुनाफा हो रहा है मिर्च की खेती
मिर्च की खेती करने वाले किसान हृदयराम ने बताया कि 10 बिस्वा में मिर्च की फसल लगाने के दो माह बाद से कच्ची मिर्च टूटने लगती है. छह माह तक कच्ची मिर्च टूटकर बाजार में जाता है. 6 माह में 10 बिस्वा जमीन में लगी मिर्च की फसल से कम से कम 50 हजार रुपए की आमदनी हो जाती है. कच्ची मिर्च टूटने के बाद सुखा कर बेचा जाता है.
सब्जियों की आय से बच्चों की अच्छी परवरिश
करैला, कद्दू, भिंडी, गोभी, टमाटर व लौकी की खेती लगन और मेहनत से करने के बाद अच्छी आमदनी देती है. वजीरगंज विकास खंड की 40 ग्राम पंचायतों में सबसे अधिक सब्जी की खेती कोटिया व खीरीडीह गांव में की जाती है. सब्जी की खेती होने से गांव के बड़े किसानों के साथ ही छोटे किसान भी खुशहाल जीवन यापन कर रहे हैं. किसान अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ ही अच्छी परवरिश दे रहे हैं.
वजीरगंज के सब्जियों की मांग कई जिलों की मंडियों मेंं
इन गांवों से उत्पादित सब्जी मनकापुर सब्जी मंडी व गोंडा सब्जी मंडी समेत दूसरे जिलों में बेची जाती है. इस गांव की सब्जी की खेती देखने के लिए बाहर से भी लोग आते हैं. यही नहीं इन किसानों को देखकर दूसरे गांवों के किसान भी सब्जी की खेती करने लगे हैं. सब्जी की खेती करने वाले किसान कोटिया गांव निवासी खेलावन बताते हैं कि बिना सरकारी सहायता के यहां के किसान कड़ी मेहनत करके शानदार सब्जी की फसल का उत्पादन कर बेहतरीन कमाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से सब्जी की फसल की खेती के लिए किसानों को बढ़ावा देने से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और किसान खुशहाल होंगे.
सरकारी योजनाओं का किसानों को नहीं मिल रहा फायदा
खीरीडीह गांव निवासी किसान राम औतार सब्जी की खेती करते हैं.हालांकि अभी तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिला है. खेती के समय क्षेत्र के कई किसानों को पैसे के अभाव में खाद व बीज उधार लेना पड़ता है. बाद में माल बिकने पर दुकानदार को चुकाया जाता है. इस गांव से कस्बे की सब्जी मंडी नजदीक होने के चलते किसानों को सब्जी बेचने के लिए कोई समस्या नहीं आती है. किसान सुहेल, अशोक मौर्य, लछन, घिर्राऊ, बड़कऊ, लाली , रामदेव निवासी करनीपुर करैला, बैगन, पालक, मटर, गोभी, टमाटर, लौकी के साथ आलू की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं.