शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों ने एक बार फिर दिल्ली कूच का ऐलान कर दिया है. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि अब हम लोग 14 दिसंबर को दिल्ली की ओर मार्च करेंगे. हमारे प्रदर्शन को 303 दिन पूरे हो चुके हैं और किसानों का आमरण अनशन भी 15वें दिन पर पहुंच गया है. हमने हमेशा बातचीत का स्वागत किया है. सरकार की ओर से किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया.
उन्होंने कहा कि दोनों संगठनों ने तय किया है कि हम 14 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था भेजेंगे. कल (बुधवार) हम किसान आंदोलन की सफलता के लिए प्रार्थना करेंगे. हम उन किसानों की रिहाई की मांग करते हैं जिन्हें विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है. मैं अपने फिल्मी सितारों, गायकों और धार्मिक नेताओं से भी अनुरोध करना चाहता हूं कि कृपया प्रदर्शन करते हुए हमारे विरोध का प्रचार करें.
6 और 8 दिसंबर को भी की थी कोशिश
इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 101 किसानों के जत्थे ने 6 और 8 दिसंबर को पैदल दिल्ली जाने की दो कोशिशें की थीं, लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया. इस दौरान किसानों और सुरक्षाबलों के बीच टकराव जैसी स्थिति बनी, जिसके बाद किसानों को पीछे धकेलने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया. इस दौरान कई किसान घायल भी हुए.
13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे हैं किसान
बता दें कि सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद 13 फरवरी से किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं. किसानों ने इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन सीमा बिंदुओं पर तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया था.
फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय” की मांग कर रहे हैं. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है.