पंजाब पुलिस ने बुधवार को अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा के प्रमुख सरवन सिंह पंढेर के साथ-साथ अन्य प्रमुख आंदोलनकारियों को मोहाली में उस समय हिरासत में ले लिया, जब वे चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में भाग लेने के बाद लौट रहे थे. इसके अलावा पुलिस ने देर रात सैकड़ों प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में लेकर शंभू और खनौरी बॉर्डर को खाली कराया. दोनों बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों द्वारा बनाए गए स्थायी और अस्थायी ढांचों को पुलिस ने बुलडोजर से हटा दिया.
पुलिस ने यह कार्रवाई पंजाब सरकार के निर्देश पर की है. हालांकि, इसे लेकर विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है. भाजपा नेता अमित मालवीय ने X पर एक पोस्ट में लिखा, ‘अरविंद केजरीवाल ने एक बार दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसानों को पानी, बिजली और वाईफाई मुहैया कराया था, लेकिन अब पंजाब की AAP सरकार उनके टेंट और कैंपसाइट को हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल कर रही है.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘पिछले किसान आंदोलन के प्रायोजक- किसान संगठनों के स्वयंभू संरक्षक, फॉरेन फंडेड एनजीओ (जॉर्ज सोरोस द्वारा समर्थित एनजीओ सहित), कनाडा स्थित पंजाबी पॉप गायक और एक मुद्दे से दूसरे मुद्दे पर कूदने वाले इंटरनेशनल सेलिब्रिटी एक्टिविस्ट- इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. ऐसा लगता है कि ये विरोध प्रदर्शन कभी किसानों के मुद्दों के लिए थे ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार को निशाना बनाने के लिए थे. अन्यथा, जब पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें जायज हैं, तो इस पूरी चुप्पी को कैसे समझा जाए- जिन्हें पूरा करने का वादा खुद AAP ने चुनावों के दौरान किया था?’
पंजाब पुलिस द्वारा किसान नेताओं को हिरासत में लिए जाने पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा, ‘किसानों पर साजिश के तहत हमला किया जा रहा है… सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि पूरा किसान समुदाय आज बड़े हमले का सामना कर रहा है। आज (चंडीगढ़ में) एक बैठक हुई जिसमें तय हुआ कि अगले दौर की बातचीत 4 मई को होगी लेकिन उन पर (किसानों पर) पीछे से हमला किया गया और उन्हें धोखा दिया गया. सड़क किसानों ने नहीं, सरकार ने रोकी है। वे (किसान) दिल्ली आना चाहते हैं.’
पुलिस द्वारा किसान नेताओं को हिरासत में लिए जाने पर पंजाब भाजपा नेता फतेहजंग सिंह बाजवा ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत करने के लिए अपने मंत्रियों की टीम भेजी है, लेकिन लुधियाना पश्चिम के व्यापारियों ने कहा है कि वे उन्हें (AAP) वोट नहीं देंगे, क्योंकि सभी सड़कें बंद हैं. अरविंद केजरीवाल के लिए राज्यसभा सीट सुनिश्चित करने और लुधियाना पश्चिम उपचुनाव जीतने के लिए उन्होंने जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर को हिरासत में लिया है. भाजपा पंजाब के किसानों के साथ है, लेकिन पंजाब के सीएम भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल ने किसानों के साथ खिलवाड़ किया.’
शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा, ‘पंजाब के सीएम भगवंत मान अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं. अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे जगजीत सिंह डल्लेवाल को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है. चुनाव के दौरान पंजाब के सीएम भगवंत मान ने वादा किया था कि वह किसानों की सभी मांगों को पूरा करेंगे, लेकिन सरकार बनने के बाद वह किसानों से सिर्फ झूठ बोल रहे हैं. पंजाब में कोई भी सुरक्षित नहीं है.’
किसान नेताओं को हिरासत में लिए जाने पर पंजाब सरकार के मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी की सरकार और पंजाब के लोग तीन काले कानूनों के खिलाफ किसानों के साथ खड़े थे. एक साल से ज्यादा हो गया है और शंभू और खनौरी बॉर्डर बंद हैं. पंजाब के व्यापारी, युवा बहुत परेशान हैं. जब व्यापारी व्यापार करेंगे तो युवाओं को रोजगार मिलेगा और वे नशे से दूर रहेंगे. आज की कार्रवाई इसलिए की गई है क्योंकि हम चाहते हैं कि पंजाब के युवाओं को रोजगार मिले. हम शंभू और खनौरी बॉर्डर खोलना चाहते हैं. किसानों की मांगें केंद्र सरकार से हैं, इसलिए उन्हें दिल्ली या कहीं और विरोध प्रदर्शन करना चाहिए, लेकिन पंजाब की सड़कें बंद नहीं करनी चाहिए.’
पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर पुलिस की कार्रवाई पर पटियाला के एसएसपी नानक सिंह ने कहा, ‘किसान लंबे समय से शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. ड्यूटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पुलिस ने उन्हें उचित चेतावनी देने के बाद इलाके को खाली करा दिया. कुछ लोगों ने घर जाने की इच्छा जताई, उन्हें बस में बैठाकर घर भेज दिया गया. इसके अलावा, यहां के ढांचे और वाहनों को हटाया जा रहा है. पूरी सड़क को साफ कर यातायात के लिए खोल दिया जाएगा. हरियाणा पुलिस भी अपनी कार्रवाई शुरू करेगी, जैसे ही उनकी तरफ से रास्ता खुलेगा, हाईवे पर आवाजाही फिर से शुरू हो जाएगी. हमें कोई बल प्रयोग करने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि कोई विरोध नहीं हुआ. किसानों ने अच्छा सहयोग किया और वे खुद ही बसों में बैठ गए.’