फतेहपुर: सरकार जहां एक ओर “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे महत्वपूर्ण अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. चांदपुर थाना क्षेत्र के मकरंदपुर गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने इस योजना की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां के एक इंटर कॉलेज में कक्षा 11 में पढ़ने वाली दो छात्राएं अपनी जान की सुरक्षा को लेकर इतनी डरी हुई हैं कि अब स्कूल जाना तक छोड़ चुकी हैं. दोनों छात्राएं बुलंद हौसले के साथ पुलिस अधीक्षक अनूप कुमार सिंह से मिलकर अपनी आपबीती सुनाई.
एक छात्रा ने बताया कि 27 अगस्त को जब वह स्कूल जा रही थी, तभी गांव का दबंग युवक पंकज सिंह ने रास्ते में उसे छेड़छाड़ कर रोका और शिकायत करने पर गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दी. वहीं दूसरी नाबालिग दलित छात्रा ने आरोप लगाया कि 30 अगस्त को स्कूल से लौटते समय पंकज सिंह ने उसे साइकिल से गिराकर जबरन हाथ पकड़ा और एक ट्यूबवेल की ओर घसीटते हुए छेड़खानी करने लगा. शोर मचाने पर जब ग्रामीण दौड़े तो आरोपी मौके से फरार हो गया लेकिन जाते-जाते जान से मारने की धमकी भी दे गया.
छात्राओं का कहना है कि जब उन्होंने पुलिस से शिकायत की, तो कार्रवाई करने के बजाय पुलिस ने आरोपी को थाने बुलाकर उनके सामने ही समझौता करने का दबाव डाला. इससे डरकर दोनों लड़कियों ने स्कूल जाना छोड़ दिया. मामले की जानकारी मिलने पर भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष पीड़ित छात्राओं से मिले और उन्हें एसपी से मिलवाया, जहां पुलिस अधीक्षक ने आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया. वहीं थाना प्रभारी राजेन्द्र सिंह का कहना है कि यह सिर्फ मामूली झगड़े का मामला था और आरोपी पंकज सिंह पर धारा 151 के तहत कार्रवाई की गई है.