फतेहपुर का 400 साल पुराना मकबरा बना जंग का मैदान – मंदिर या मकबरा? सच्चाई खोलेगी 80 पेज की रिपोर्ट!

उत्तर प्रदेश : फतेहपुर जिले के आबूनगर क्षेत्र में स्थित करीब 400 साल पुराना नवाब अब्दुल समद का मकबरा व ठाकुरद्वारा इन दिनों विवाद का केंद्र बन गया है. जहां कुछ हिंदू संगठनों ने दावा किया है कि इस स्थल पर शिव और कृष्ण का प्राचीन मंदिर था, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे नवाब अब्दुल समद खान और उनके पुत्र अबू बकर की कब्र बताता है.

 

इस स्थान को राष्ट्रीय संपत्ति और वक्फ भूमि भी घोषित किया जा चुका है. हाल ही में, सदर तहसील स्थित इस विवादित परिसर में कुछ हिंदू कार्यकर्ता अचानक घुस गए थे, उन्होंने भगवा झंडा फहराया और धार्मिक अनुष्ठान करने की कोशिश थी. पुलिस ने बैरिकेडिंग और लाठीचार्ज कर स्थिति पर काबू पाया था. अब इस पूरे मसले पर जांच कर रही पुलिस टीम ने 80 पेज की रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट को सीएम योगी के पास कमिश्रर के जरिए भेज दी गई है. आइए जानते हैं आखिर ऐसा क्या है.

 

फतेहपुर के थाना कोतवाली क्षेत्र के आबूनगर स्थित विवादित मकबरे को लेकर प्रशासन ने 80 पेज की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है. इस रिपोर्ट को मंडलायुक्त (कमिश्नर) के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा गया है, जिसमें गाटा संख्या 753 की पूरी स्थिति स्पष्ट की गई है. रिपोर्ट तैयार करने के लिए जिला प्रशासन ने उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की थी, जिसमें 2 अपर जिलाधिकारी, 3 उपजिलाधिकारी 2 तहसीलदार और 12 लेखपाल शामिल रहे. जांच के दौरान जमीन से संबंधित खतौनी, आधार दस्तावेज, पुराने जमींदारी काल के रिकॉर्ड और वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों का गहन परीक्षण किया गया.

खतौनी में 11 बीघा, वक्फ में सिर्फ 15 बिस्वा

जांच में सामने आया कि वर्तमान खतौनी में गाटा संख्या 753 के तहत मकबरे की कुल 11 बीघा जमीन दर्ज है. दूसरी ओर, वक्फ बोर्ड द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों में सिर्फ 15 बिस्वा जमीन ही वक्फ संपत्ति के रूप में दर्शाई गई है. दोनों दस्तावेजों के बीच लगभग 10 बीघा से अधिक की विसंगति सामने आने से स्थानीय हिंदू संगठनों में हलचल तेज हो गई है.

जमींदारी काल से अब तक की मिलान प्रक्रिया

रिपोर्ट में उल्लेख है कि गाटा संख्या 753 की उत्पत्ति, म्यूटेशन, खाता संख्या परिवर्तन और वर्षों से इसके उपयोग का ब्यौरा भी संलग्न किया गया है. पुराने रिकॉर्ड से लेकर मौजूदा दस्तावेजों तक का तुलनात्मक अध्ययन किया गया. मकबरे के अस्तित्व, निर्माण काल और उपयोग से जुड़े तमाम पहलुओं को भी जांच में शामिल किया गया है. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में सभी पक्षों की दावेदारी और दस्तावेजों की समीक्षा के आधार पर स्पष्ट सुझाव भी दिए गए हैं. अब अंतिम निर्णय राज्य सरकार को लेना है कि विवादित जमीन पर किसका दावा वैध माना जाए.

 

सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

विवाद की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन ने आबूनगर और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है. साथ ही पुलिस और खुफिया एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके.

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