संगम के पानी में फेकल कोलीफॉर्म स्तर बढ़ा, सेहत पर क्या असर पड़ेगा? जानें यहां..

प्रयागराज में महाकुंभ अब समापन की ओर बढ़ रहा है. अभी तक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने संगम में स्नान किया है. 26 फरवरी तक चलने वाला महाकुंभ में यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है. हर दिन लाखों लोग गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती जिसे हम संगम कहते हैं वहां पर स्नान कर रहे हैं. वहीं, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रयागराज में संगम में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की अधिक मात्रा पर चिंता जताई है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि महाकुंभ के दौरान इस बैक्टीरिया अधिक मात्रा में पायी गई है. खासकर शाही स्नान के दिनों में यह अधिक देखने को मिली.

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यह बैक्टीरिया इंसान और जानवरों के मल-मूत्र से पानी में पहुंचता है. जब गंदगी, सीवेज या मल-मूत्र का पानी नदी में मिलता है, तो यह बैक्टीरिया भी पानी में आ जाता है. संगम में बड़ी संख्या में लोग स्नान और धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं और कई बार गंदगी भी पानी में डाल दी जाती है. इसी वजह से वहां पानी में फीकल कॉलीफॉर्म की मात्रा बढ़ गई है. संगम के पानी में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया होने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. ये बीमारियां त्वचा रोग, डायरिया, यूरिनरी इन्फेक्शन, सेप्सिस, टाइफाइड और गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं.

फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया क्या है?

कोलीफॉर्म बैक्टीरिया एक समूह है, जिसमें कई सारे बैक्टीरिया आते हैं. वॉशिंगटन स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ (WSDOH) के मुताबिक, यह बैक्टीरिया इंसानों व जानवरों की आंतों व मल में होता है. यह खुद कोई खतरनाक बीमारी नहीं करता है, लेकिन पानी में इसकी मौजूदगी दूसरे खतरनाक बैक्टीरिया का संकेत हो सकती है. बीमार करने वाले अधिकतर पैथोजेन इंसानों व जानवरों के मल से आते हैं. अमेरिकी संस्थान के मुताबिक, टोटल कोलीफॉर्म का एक प्रकार फेकल कॉलीफॉर्म है और उसका एक प्रकार ई. कोली बैक्टीरिया है. टोटल कोलीफॉर्म मिट्टी या दूसरे वातावरणीय कारकों से आ सकता है, लेकिन फेकल कोलीफॉर्म और ई. कोली मल से आता है. ई. कोली का हर स्ट्रेन खतरनाक नहीं होता, अक्सर ई. कोली 0157:H7 को बीमार करने वाला देखा जाता है.

एक्सपर्ट्स ने क्या कहा?

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो ‘कुंभ से वापस आने वालों में स्वास्थ्य समस्याएं दिख रही हैं. इसमें कुछ लोगों में कुछ लोगों में वायरल, गैस्ट्रोएन्टेराइटिस की समस्या दिख रही है, जिसमें उन्हें दस्त, उल्टीशामिल हैं, हालांकि, इतने बड़े कार्यक्रम में यह मामले बहुत कम हैं. क्योंकि इतनी बड़ी भीड़ में ऐसा होने स्वाभाविक है. सही तरीके का खानपान की कमी, बाहर का पानी पीना समेत अधिक समय तक भीड़भाड़ वाले इलाकों में रुकना. ऐसे कई कारण हो सकते हैं, जिसकी वजह से ये समस्याएं लोगों में दिख रही हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक साथ संगम में करोड़ों लोग स्नान कर रहे हैं. जाहिर सी बात है कि एक ही जगह पर इतने लोग स्नान करेंगे तो पानी गंदा होगा. ऐसे में गंगा में डुबकी लगाते समय पानी पीने से बचें.

इसका सेहत पर क्या असर पड़ सकता है?

  • पेट से जुड़ी बीमारियां- अगर कोई ऐसा पानी पी लेता है या इसमें नहाता है, तो उसे दस्त, उल्टी और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
  • त्वचा पर एलर्जी और इन्फेक्शन – कोई व्यक्ति गंदे पानी में नहाने से खुजली, रैशेज और फंगल इन्फेक्शन का शिकार हो सकता है.
  • आंख और कान का इन्फेक्शन – यह बैक्टीरिया आंखों में जलन और कान में इन्फेक्शन का कारण बन सकता है.
  • टाइफाइड और पीलिया (हेपेटाइटिस A)- लंबे समय तक गंदे पानी के संपर्क में रहने से ये गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
  • मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI)- खासतौर पर महिलाओं और बच्चों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है.
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