सूरजपुर: तमोर पिंगला अभ्यारण्य में युवक को अकेला देख भालू ने नोचा चेहरा, हालत नाजुक

सूरजपुर:तमोर पिंगला अभ्यारण्य के पिंगला रेंज अंतर्गत ग्राम रमकोला के निवासी रामफल पिता देवशरण अगरिया (उम्र लगभग 36 वर्ष) पर एक मादा भालू ने अचानक हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया. घटना सुबह भोर के समय की है, जब रामफल जंगल में खुखड़ी-पुटू (जंगली मशरूम) बीनने गया था.

मादा भालू और शावक के बीच अचानक आमना-सामना

जानकारी के अनुसार, रामफल का जंगल में मादा भालू व उसके शावक से आमना-सामना हो गया. भालू ने अचानक हमला कर दिया, जिससे रामफल के चेहरे, सीने, हाथ और पैरों पर गंभीर चोटें आई हैं. हमले के दौरान रामफल की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग जंगल की ओर दौड़े और किसी तरह उसे घायल अवस्था में भालू के चंगुल से छुड़ाया.

स्थिति गंभीर, रायपुर रेफर

घायल युवक को पहले रमकोला स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार दिया गया, फिर तुरंत अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. लेकिन चेहरे और छाती पर गहरे जख्मों को देखते हुए चिकित्सकों ने स्थिति को चिंताजनक बताया और उसे रायपुर रेफर कर दिया गया है.

वन विभाग की घोर लापरवाही सवालों के घेरे में

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में प्रतापपुर के जंगलों में भालू के दिखाई देने का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था.  बावजूद इसके वन विभाग द्वारा कोई सतर्कता या जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि “वन विभाग सिर्फ कागज़ों पर मुस्तैद है, लेकिन जंगल की हकीकत में कोई गश्त नहीं होती.यदि पहले से सतर्कता होती, तो रामफल जैसे ग्रामीण को यह दर्द नहीं सहना पड़ता.”

ग्रामीणों की मांग: वन विभाग करे स्थायी समाधान

घटना के बाद ग्राम रमकोला और आसपास के इलाकों में भय का माहौल बन गया है. ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि तत्काल भालुओं की गश्ती निगरानी की जाए और सीमावर्ती गांवों में सतर्कता व जागरूकता अभियान चलाया जाए.घायल रामफल को वन्यजीव मानव संघर्ष राहत योजना के तहत मुआवजा और इलाज की सुविधा दी जाने की मांग ग्रामीणों ने की है.

क्या कहते हैं जानकार?

जानवरों के व्यवहार विशेषज्ञों के अनुसार: “भालू आमतौर पर इंसानों पर हमला नहीं करता, जब तक उसे डर या खतरा न महसूस हो. मादा भालू अगर अपने शावकों के साथ हो, तो वह और भी आक्रामक हो जाती है.”

तमोर पिंगला अभ्यारण्य जैसे संवेदनशील इलाकों में वन्यजीव और ग्रामीणों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ रहा है. यह घटना केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि पूरे वन विभाग और प्रशासन के लिए चेतावनी है कि जंगल की सीमाओं पर सुरक्षा, निगरानी और शिक्षा को लेकर गंभीरता बरती जाए.

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