महिला दलाल ने आदिवासी बच्ची को दिल्ली में बेचा:नाबालिग ने डेढ़ साल बाद किया कॉल, रोते हुए बोली-मुझे लेने आइए, देहरादून में फंसी हूं..

छत्तीसगढ़ के सरगुजा की 16 साल की आदिवासी लड़की को महिला दलाल ने काम दिलाने के बहाने दिल्ली में बेच दिया है। डेढ़ साल बाद नाबालिग ने परिजनों से बात कर देहरादून में फंसे होने की बात बताई। परिजनों ने सीतापुर थाने में शिकायत की है। पुलिस ने जल्द मुक्त कराने का आश्वासन दिया है।

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जानकारी के मुताबिक, पेटला गांव निवासी सुंदर लकड़ा की बेटी पूनम लकड़ा को करीब डेढ़ साल पहले गांव की ही महिला रीना अपने साथ दिल्ली ले गई थी। उस समय पूनम लकड़ा कक्षा 10वीं में पढ़ रही थी। रीना ने इसकी जानकारी उसके परिजनों को भी नहीं दी, जिससे उसकी पढ़ाई छूट गई।

डेढ़ साल बाद लौटी महिला दलाल

परिजनों ने बताया कि डेढ़ साल से बेटी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उससे बात नहीं हो सकी। अब छात्रा को अपने साथ ले जाने वाली महिला दलाल गांव लौटी है, लेकिन पूनम उसके साथ नहीं आई। परिजनों ने उससे पूछताछ की तो पूनम को काम में होना बताया।

बेटी फोन पर बोली- मुझे बेचा गया

कुछ दिनाें बाद पूनम ने परिजनों को फोन कर बताया कि, वो देहरादून में है। उसे दिल्ली में बेच दिया गया था। जहां से उसे देहरादून लाया गया है। उसे घर का काम कराया जाता है। फोन से बात करने की भी इजाजत नहीं है। वो वापस घर आना चाहती है, लेकिन उसे आने नहीं दिया जा रहा है। उसने रोते हुए परिजनों से कहा कि उसे वापस लेने आ जाएं।

परिजन शिकायत लेकर पहुंचे थाने

ह्यूमन ट्रेफिकिंग रोकने के लिए काम कर रही एनजीओ पथ प्रदर्शक संस्था के सदस्यों को नाबालिग के लापता होने की जानकारी मिली, तो वे पेटला पहुंचे। परिजनों से बात की और उन्हें लेकर शनिवार को सीतापुर थाने पहुंचे। पूरे मामले की लिखित शिकायत की।

पहले भी सामने आए हैं कई मामले

बता दें कि, सरगुजा के सीतापुर और मैनपाट इलाके से पहले भी कई लड़कियों को काम दिलाने के बहाने दिल्ली ले जाकर बेचने की घटनाएं हो चुकी हैं। प्रशासनिक कड़ाई और जागरूकता के बाद इसमें कुछ कमी आई है, लेकिन यह समाप्त नहीं हुआ है। अभी भी दर्जनों की संख्या में लड़कियां क्षेत्र से गायब हैं, जिनका पता भी नहीं चल सका है।

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