रायपुर में KG-2 कक्षा की 6 साल की छात्रा पर महिला टीचर ने अगरबत्ती से जलाने का आरोप लगा है। पीड़ित बच्ची के माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी घटना के बाद डर गई है और अब मानसिक रूप से असुरक्षित महसूस कर रही है। घटना के तुरंत बाद परिजनों ने स्कूल प्रबंधन को सूचना दी, जिसके बाद आरोपी टीचर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
परिजनों का आरोप है कि यह पहली बार नहीं था जब टीचर ने शारीरिक सजा दी हो। इससे पहले भी बच्ची पर मारपीट की घटनाएं हुई हैं। माता-पिता ने स्कूल प्रबंधन से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है और चाहते हैं कि आरोपी के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाए।
स्कूल प्रबंधन ने बयान जारी कर कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की गई। हालांकि, अब स्थानीय पुलिस भी इस मामले में जांच कर रही है और बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूलों में निगरानी बढ़ाने की योजना बना रही है।
पुलिस ने बताया कि बच्ची के बयान और उसके माता-पिता की शिकायत के आधार पर आरोपी टीचर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। मामले में स्कूल की जिम्मेदारी भी सामने आई है, क्योंकि सुरक्षा मानकों के बावजूद बच्ची को नुकसान हुआ।
छत्तीसगढ़ में इस तरह की घटनाओं ने शिक्षा व्यवस्था और बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए शिक्षकों की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है।
इस घटना ने समाज में बच्चों के प्रति सुरक्षा और जिम्मेदारी की आवश्यकता को उजागर किया है। माता-पिता और स्कूल प्रबंधन दोनों को मिलकर ऐसे मामलों को रोकने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाने होंगे।
अभिभावकों का कहना है कि इस घटना से बच्ची का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है और उसे सही समर्थन और काउंसलिंग की आवश्यकता है। पुलिस और प्रशासन इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की बात कह चुके हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।