दिल्ली में कुत्तों पर लड़ाई, मुंबई में कबूतरों पर जंग… देश के दो बड़े शहरों में पशु अधिकार कार्यकर्ता भी एक्टिव

देश राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में इन दिनों कुत्तों और कबूतरों को लेकर विवाद गरमाया हुआ है. दिल्ली में जहां आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं, वहीं मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाबंदी लगा दी है. इन दोनों मामलों में पशु अधिकार कार्यकर्ता भी एक्टिव हो गए हैं. कोर्ट के फैसलों के बाद स्वागत और आलोचना दोनों तरह के सुर सुनाई दे रहे हैं.

दिल्ली में आवारा कुत्तों पर बहस

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर की सड़कों को आवारा कुत्तों से मुक्त बनाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं. अदालत ने सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर तत्काल डॉग शेल्टर होम में शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने इन कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन के भी आदेश दिए हैं. कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि कुत्ते पकड़ने में बाधा डालने वालों पर अवमानना की सख्त कार्रवाई की जाएगी. यह फैसला बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

दिल्ली में आवारा कुत्तों का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में है. कुत्तों के काटने और हमला करने की बढ़ती घटनाओं ने लोगों को चिंतित कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या को बेहद गंभीर माना और स्वत: संज्ञान लेते हुए यह फैसला लिया है. कोर्ट का मानना है कि कथित पशु प्रेमी उन बच्चों की जिंदगी वापस नहीं ला सकते जो रेबीज के शिकार हो गए हैं. इसलिए यह जरूरी है कि इस समस्या पर तुरंत कार्रवाई की जाए.

कुत्तों को हटाने से गंभीर समस्या

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कुछ पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों ने विरोध किया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस फैसले को अव्यावहारिक बताया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में तीन लाख से ज्यादा कुत्ते हैं और उन सभी को शेल्टर होम में रखने के लिए 15,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जो दिल्ली सरकार के लिए संभव नहीं है. उनका कहना है कि यह फैसला पशुओं के अधिकारों की अनदेखी करता है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पकड़े गए कुत्तों को खिलाने में ही हर हफ्ते करीब 5 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जो जनता के गुस्से को भड़का सकता है. साथ ही डेढ़ लाख लोग इनकी देखरेख के लिए भी चाहिए होंगे. उन्होंने कहा कि सड़कों से कुत्तों को हटाने से अन्य पर्यावरणीय समस्याएं भी आ सकती हैं. उनका कहना है कि सड़कों से जैसी ही कुत्ते हटेंगे, बंदर जमीन पर आ जाएंगे. उन्होंने कहा कि 1880 के दशक में पेरिस में जब कुत्ते और बिल्लियों को सड़कों से हटाया गया था तो शहर चूहों से भर गया था क्योंकि कुत्ते ‘रोडेंट कंट्रोल एनिमल हैं.

राहुल गांधी ने भी किया विरोध

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध किया है. उन्होंने कहा कि शेल्टर्स, नसबंदी, वैक्सीनेशन और कम्युनिटी केयर ही सड़कों को सुरक्षित रख सकती हैं और वह भी बिना किसी क्रूरता के. लेकिन एकदम से सामूहिक तौर पर कुत्तों को हटाने का कदम क्रूर, अदूरदर्शी और करुणा से परे है. हम जनसुरक्षा और पशु कल्याण को एक साथ सुनिश्चित कर सकते हैं.

इसके अलावा पशु अधिकार कार्यकर्ताओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा का कहना है कि मोहल्लों से आवारा कुत्तों को हटाकर सरकारी शेल्टर में भेजने का निर्देश पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) के नियमों के खिलाफ है. दिल्ली में पशु अधिकार कार्यकर्ता एशर जेसुदॉस ने कहा कि कोर्ट का फैसला लागू करने में गंभीर मुश्किलें आएंगी. उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला अहिंसा और पशुओं पर क्रूरता रोकने की भावना के भी खिलाफ है.

मुंबई में कबूतरों पर जंग

दूसरी ओर, मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. यह रोक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण लगाई गई है. हाईकोर्ट ने कहा है कि कबूतरों की बीट से सांस संबंधी बीमारियां फैलती हैं. बीएमसी ने कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करते हुए कई कबूतरखानों को बंद कर दिया है और दाना डालने वालों पर जुर्माना भी लगाया है.

धार्मिक और सामाजिक पहलू

मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने का मामला अब धार्मिक और सामाजिक विवाद का रूप ले चुका है. जैन समाज और अन्य पक्षी प्रेमी इस प्रतिबंध का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि कबूतरों को दाना खिलाना धर्म का हिस्सा है और यह बेजुबान पक्षियों के साथ क्रूरता है. जैन मुनि नीलेश चंद्र विजय ने चेतावनी दी है कि अगर जरूरत पड़ी तो वे भूख हड़ताल करेंगे और हथियार भी उठाएंगे.

जैन मुनि ने कहा कि कुछ लोग बकरे की बलि देते हैं, वह उनका धर्म है. हम अपने धर्म का पालन करना चाहते हैं. लोग शराब और ड्रग्स से मर रहे हैं, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. हमारे जैन धर्म में कहा गया है कि हमें चींटी से लेकर हाथी तक की रक्षा करनी चाहिए.

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