उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) ‘प्री’ और समीक्षा अधिकारी (आरओ), सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) की परीक्षा दो दिन कराने के निर्णय के विरोध में छात्रों ने सोमवार सुबह से छात्र यूपी लोक सेवा आयोग के गेट पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी बीच, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की आंदोलन को लेकर प्रतिक्रिया सामने आई है.
केशव प्रसाद मौर्य ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘यूपी पीसीएस परीक्षा में एक से अधिक दिन की परीक्षा, निजी संस्थानों को केंद्र न बनाने और मानकीकरण प्रक्रिया को लेकर छात्रों की चिंताएं गंभीर और महत्वपूर्ण हैं. छात्रों की मांग है कि परीक्षाएं पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हों, ताकि उनकी मेहनत का सम्मान हो और भविष्य सुरक्षित रहे’.
ट्वीट में आगे लिखा कि ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में, भाजपा सरकार ने 2017 से भर्ती माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाकर निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की मिसाल पेश की है. लगभग 7 लाख युवाओं को नियुक्ति पत्र देकर सरकार ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया है. सभी सक्षम अधिकारी छात्रों की मांगों को संवेदनशीलता से सुनें और शीघ्र समाधान निकालें. यह सुनिश्चित करें कि छात्रों का कीमती समय आंदोलन में नहीं, बल्कि उनकी तैयारी में लगे. न्यायालय में लंबित मामलों का भी शीघ्र समाधान निकाला जाए ताकि किसी छात्र का भविष्य अंधकार में न रहे. #UPPCS #छात्रहित #निष्पक्ष_भर्ती’.
यूपी पीसीएस परीक्षा में एक से अधिक दिन की परीक्षा, निजी संस्थानों को केंद्र न बनाने और मानकीकरण प्रक्रिया को लेकर छात्रों की चिंताएं गंभीर और महत्वपूर्ण हैं। छात्रों की मांग है कि परीक्षाएं पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हों, ताकि उनकी मेहनत का सम्मान हो और भविष्य सुरक्षित रहे।…
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) November 12, 2024
क्यों आंदोलन कर रहे छात्र
बता दें कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ अभ्यर्थी आंदोलन कर रहे हैं. 11 नवंबर से हजारों की संख्या में छात्र यूपी पीएससी के खिलाफ सड़कों पर हैं. छात्रों का कहना है कि बीते दो साल से आयोग परीक्षा करा पाने में विफल रहा है. इसी साल की शुरुआत यानी जनवरी 2024 में आयोग ने उत्तर प्रदेश सिविल सर्विसेज का नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसकी परीक्षा मार्च माह में लंबित थी, जिसको फिर अक्टूबर माह के लिए टाल दिया गया.इसके बाद आयोग की एक और परीक्षा समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी 11 फरवरी को आयोजित की गई थी परन्तु पेपर लीक होने के वजह से इसको निरस्त कर दिया गया था. इन दोनों परीक्षाओं को अक्टूबर माह में आयोजित करने के लिए प्रस्तावित किया गया था. फिर अचानक आरओ एआरओ को दिसंबर माह में कराने की घोषणा की जाती है. इसके साथ ही छात्रों दो शिफ्ट में पेपर करने के लिए कहा गया, जिससे छात्रों में आक्रोश है.