हरियाणा में पराली जलाने पर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा ने आदेश जारी किया है कि जो भी किसान पराली जलाते हैं या इस सीजन में पराली जला चुके हैं, उनके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी. इस कार्रवाई की शुरुआत 15 सितंबर 2024 से की जा रही है. इसके तहत किसानों के खेतों के रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ की जाएगी, जिससे वे अगले दो सीजन तक अपनी फसल ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से मंडियों में नहीं बेच पाएंगे.
सरकार के इस आदेश का मकसद राज्य में पराली जलाने पर सख्ती से रोक लगाना है, ताकि वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके. आदेश के मुताबिक, सभी जिलों के उप कृषि निदेशक को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं कि जिन किसानों के खेतों में आग लगी है, उनके नाम तुरंत रिकॉर्ड में शामिल किए जाएं. यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसे किसानों को मंडियों में फसल बेचने से रोका जा सके.
इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पराली जलाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि पराली जलाना केवल एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे उत्तर भारत का मुद्दा है. मान ने कहा, “अगर प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन युद्ध को रोक सकते हैं, जैसा कि विज्ञापनों में दिखाया गया, तो क्या वे यहां धुआं नहीं रोक सकते?” उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों को पराली जलाने पर मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. मान ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए मुआवजे की जरूरत है, न कि सिर्फ जुर्माने और प्रोत्साहन की. उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने किसानों को मशीनें दी हैं और गैर-सरकारी संगठनों से भी मदद ली है, लेकिन समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.
दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से सवाल किया है कि प्रदूषण रोकने के लिए विशेषज्ञों की मदद क्यों नहीं ली जा रही है. पंजाब-हरियाणा में पराली जलने की बढ़ती घटनाओं और वायु प्रदूषण के इजाफे पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाया था. कोर्ट ने पूछा था कि आखिर CAQM (कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट) में सदस्यों की नियुक्ति कैसे की जाती है? क्या आपने IIT विशेषज्ञों जैसे किसी एक्सपर्ट एजेंसी को इसमें जोड़ा है?
#WATCH | Delhi: On stubble burning, Punjab CM Bhagwant Mann says, "The issue of stubble burning is not limited to any one state. It is the issue of the whole of the Northern India. If PM Modi can stop the Ukraine war like they showed in the ad, can they not stop the smoke here?… pic.twitter.com/gXPqqMgPjP
— ANI (@ANI) October 18, 2024
सुप्रीम कोर्ट के इन सवालों का जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने बताया था कि उन्होंने NERI विशेषज्ञों की मदद ली है. इसपर कोर्ट का कहना था कि हमने देखा है कमेटी की बैठक में बहुत से लोग मौजूद नहीं रहते हैं. अगर ऐसे मेंबर हैं तो वो कमेटी में रहने लायक नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अगले बुधवार को बताने को कहा है कि कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के कामकाज से जुड़ी विशेषज्ञ एजेंसियां कौन सी हैं?