Vayam Bharat

पहले चिराग, अब केसी त्यागी… बीजेपी का संदेश साफ, पॉलिसी मैटर पर अलग लाइन बर्दाश्त नहीं

18वीं लोकसभा के गठन के बाद एनडीए संसदीय दल की पहली बैठक में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी घटक दलों के प्रवक्ताओं के बीच समन्वय पर जोर देते हुए कहा था कि इससे सरकार की बात एक सुर में जनता तक जाएगी. लेकिन हाल के दिनों में कई बार ऐसा हुआ, जब NDA के घटक दलों का स्टैंड भी सरकार की लाइन से अलग और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के करीब नजर आया. NDA की अगुवाई कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पहले सियासी सीन से गायब चल रहे पशुपति पारस की बिहार प्रदेश अध्यक्ष और अमित शाह से मुलाकात करा चिराग पासवान को सख्त संदेश दे दिया. अब जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता पद से केसी त्यागी की छुट्टी हो गई है.

Advertisement

चिराग की ही तरह केसी त्यागी का स्टैंड भी कई बार एनडीए में मतभेद का ही संदेश दे रहा था. केसी त्यागी ने पिछले दिनों एक लेख लिखा था जो बिहार के अखबार में छपा था. इसमें राहुल गांधी की मौजूदा राजनीति को सही बताते हुए आरक्षण और जातीय सर्वे को समय की मांग बताया गया था. केसी त्यागी इससे पहले फिलिस्तीन युद्ध के मुद्दे पर विपक्ष के स्टैंड के साथ खड़े नजर आए थे कि भारत को इजरायल की मदद नहीं करनी चाहिए. केसी त्यागी दिल्ली में नीतीश की आंख-कान माने जाते हैं. ऐसे में उनके ये स्टैंड बीजेपी नेताओं को भी असहज कर रहे थे.

चर्चा इस बात की भी है कि जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और संजय झा ने कुछ दिन पहले ही केसी त्यागी से मुलाकात कर मुख्य प्रवक्ता का पद छोड़ने के लिए कहा था. केसी त्यागी ने मुख्य प्रवक्ता का पद छोड़ने के बाद बिहार और केंद्र सरकार की लंबी उम्र की कामना करते हुए कहा है कि एक साल पहले भी पद छोड़ने का आग्रह किया था. पिछले चार महीने से किसी डिबेट में नहीं जा रहा हूं. अटल-आडवाणी के साथ भी काम किया है और बीजेपी से मेरा कोई विरोध नहीं है. जेडीयू ने भी इस्तीफे की वजह ‘निजी कारण’ बताया है.

केसी त्यागी से लेकर जेडीयू तक, मुख्य प्रवक्ता पद पर बदलाव के पीछे निजी कारण बता रहे हैं लेकिन बिहार के सियासी गलियारों में इसे चिराग चैप्टर की कड़ी के रूप में ही देखा जा रहा है. पहले चिराग और अब केसी त्यागी, एनडीए के घटक दलों के लिए सख्त संदेश की तरह देखे जा रहा हैं कि गठबंधन में रहकर सरकार के खिलाफ बयान नहीं चलेंगे. इन्हें बीजेपी के मजबूत सरकार वाले नारे से जोड़कर भी देखे जा रहे हैं.

वक्फ बिल हो या आरक्षण या फिर यूपीएससी का लैटरल एंट्री के जरिये भर्ती का विज्ञापन, चिराग पासवान का स्टैंड कई मौकों पर सरकार से अलग नजर आया. चिराग पासवान की पार्टी ने झारखंड चुनाव में अकेले मैदान में उतरने का भी ऐलान कर दिया था. चिराग के सुर में अब नरमी आई है. अमित शाह से मुलाकात के बाद चिराग ने बीजेपी के साथ मतभेद की अटकलों को अफवाह बताते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रति मेरा प्यार अटूट है. जब तक वे प्रधानमंत्री हैं, उनसे मुझे  कोई अलग नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा था कि बीजेपी चाहे तो हम बिहार चुनाव एनडीए के साथ मिलकर लड़ने को तैयार हैं. चिराग अब बीजेपी के साथ अटूट निष्ठा का भरोसा दिला रहे हैं. इसे पशुपति पारस से शाह की मुलाकात का ही इफेक्ट बताया जा रहा है. बीजेपी ने इस मुलाकात के जरिये चिराग को एक तरह से यह संदेश दे दिया कि बिहार में दलित वोट के लिए पार्टी उन पर ही निर्भर नहीं है. बीजेपी के पास प्लान बी भी है.

Advertisements