झारखंड (Jharkhand) के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने वाले हैं. उन्होंने इस बात को लेकर पुष्टि कर दी है. चंपाई सोरेन ने कहा, ‘ ये मेरा नया अध्याय है. पहले सोचा संन्यास ले लूं फिर जनता की मांग पर राजनीति में रुकने का फैसला लिया. मंथन के बाद सोचा कि पीएम मोदी के साथ जाना चाहिए. मैं बीजेपी में शामिल होने जा रहा हूं’
इससे पहले सोमवार को चंपाई सोरेन की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस मुलाकात एक तस्वीर सोशल मीडिया पर भी शेयर की थी और लिखा था कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हमारे देश के एक प्रतिष्ठित आदिवासी नेता, चंपाई सोरेन जी ने कुछ देर पहले माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी से मुलाकात की. वह 30 अगस्त को रांची में आधिकारिक रूप से बीजेपी में शामिल होंगे.
चंपाई सोरेन को लेकर कई दिनों से थी अटकलें
चंपाई सोरेन को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि वो अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं और आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ सकते हैं. जेएमएम से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने तीन विकल्प बताए थे. उन्होंने कहा था, ‘मैं राजनीति से संन्यास नहीं लूंगा. मैंने तीन विकल्प बताए थे, रिटायरमेंट, संगठन या दोस्त. मैं रिटायर नहीं होऊंगा, मैं पार्टी को मजबूत करूंगा, नई पार्टी बनाऊंगा और अगर रास्ते में कोई अच्छा दोस्त मिलता है, तो उसके साथ आगे बढ़ूंगा.’
चंपाई को क्यों साध रही है BJP
कोल्हान टाइगर के नाम से प्रसिद्ध चंपाई सोरेन पार्टी के संरक्षक शिबू सोरेन के बाद जेमम में सबसे सीनियर आदिवासी नेता थे. पार्टी में उनका कद इस बात से समझा जा सकता है कि जब हेमंत सोरेन ने ईडी की गिरफ्तारी के कारण झारखंड के मुख्यमंत्री पद से हटने का फैसला किया, तो उनके कैबिनेट सहयोगी जोबा माझी की जगह चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया.
हालांकि, रांची जेल से रिहा होने के बाद 4 जुलाई को हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री दफ्तर लौट आए और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. चंपाई सोरेन को झारखंड कैबिनेट में नए शिक्षा मंत्री के तौर पर शामिल किया गया, लेकिन यह बात ‘कोल्हान के टाइगर’ को रास नहीं आई. और उन्होंने कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखते हुए पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया.
कोल्हान में चंपाई की मजबूत पकड़
कोल्हान इलाके में चंपाई सोरेन की मजबूत पकड़ का इतिहास काफी पुराना है. उन्हें मजदूर वर्ग के नेता के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड के लिए लड़ाई लड़ी. उन्हें खुद इस बात पर गर्व है कि इस क्षेत्र के स्थानीय गांवों के 10 हजार से ज्यादा युवाओं को टाटा ग्रुप जैसे औद्योगिक प्रतिष्ठानों में नौकरी मिली. आदिवासी बहुल इलाके कोल्हान की वजह से ही JMM ने 2019 के विधानसभा चुनावों में अपनी जीत पक्की की थी. मोदी लहर और राम मंदिर लहर के बावजूद, हेमंत सोरेन की JMM ने 14 विधानसभा क्षेत्रों में से 11 पर जीत हासिल की और दो पर कांग्रेस ने कब्जा किया था. इन नंबरों की वजह से ही JMM ने झारखंड चुनावों में अपना अब तक का बेस्ट चुनावी नंबर दर्ज किया था. इसलिए माना जा रहा है कि इस इलाके में मजबूत पकड़ बनाने के मकसद से बीजेपी के लिए चंपाई सोरेन अहम हैं.