सावन माह की शुरुआत होने के एक दिन बाद मंगला गौरी व्रत की शुरुआत होती है. सोमवार को जहां सावन सोमवार का व्रत रखा जाएगा तो वहीं उसके अगले दिन यानी मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है. यह व्रत महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं और साथ ही कुंवारी लड़कियां यह व्रत अच्छे वर की कामना के लिए करती हैं. सावन के चार मंगलवारों पर मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई यानी आज रखा जा रहा है. इस दिन माता पार्वती के साथ भगवान शिव की भी उपासना करनी चाहिए.
इस व्रत के दौरान ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें. नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा नए वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए. इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है. मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें. फिर ‘मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए.
मंगला गौरी व्रत पर आज द्विपुष्कर योग का निर्माण होने जा रहा है जिसके कारण यह व्रत बहुत ही खास बन गया है. द्विपुष्कर योग 23 जुलाई यानी आज सुबह 5 बजकर 38 मिनट से शुरू हो चुका है और समापन सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर होगा. वहीं, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. इन तीनों योगों में मां गौरी की उपासना की जाती है.
माँ मंगला गौरी का चमत्कारी मंत्र (मंगला गौरी व्रत मंत्र)
1. सर्वमंगला मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिक्।
हे तीनों की रक्षा करने वाली, हे गौरी, हे नारायणी, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं।
2. कर्पूर-श्वेत, दयालु अवतार, जगत का सार, सर्प-राजा का हार।
मैं उन भवानी सहित भव को प्रणाम करता हूँ जो सदैव मेरे हृदय कमल में निवास करती हैं.
मंगला गौरी के व्रत से जीवन में खुशहाली और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. पूरे सावन मंगला गौरी की उपासना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है. इंसान के सारे कष्ट दूर हो सकते हैं. अविवाहित युवतियों के विवाह में आने वाली बाधा दूर हो जाती है और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. संतान से जुड़ी परेशानियों के लिए भी ये व्रत फायदेमंद माना जाता है.