Shikhar Dhawan debuts as author: पूर्व विस्फोटक सलामी बल्लेबाज शिखर धवन एक नए रूप में सामने आए हैं. उन्होंने लेखक के तौर पर पदार्पण किया है. दरअसल, धवन ने अपना संस्मरण लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने रिश्तों से लेकर दोस्ती तक सब कुछ खुलकर बताया है. साथ ही मैदान के अंदर हो या बाहर, खुद से जुड़े सभी विवादों के बारे में भी बताया है.
39 साल के धवन ने अपनी किताब ‘द वन: क्रिकेट, माई लाइफ एंड मोर (The One: Cricket, My Life and More) के बारे में कहा, ‘क्रिकेट ने मुझे उद्देश्य दिया, लेकिन यह उतार-चढ़ाव और शांत क्षणों वाली यात्रा थी, जिसने मुझे उस इंसान के रूप में गढ़ा जो मैं आज हूं . यह मेरी दिल से कही गई कहानी है – बिल्कुल खरी, दिल से और बिना किसी दिखावे के.’
प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स इंडिया ने कहा, ‘बेबाकी और ईमानदारी के साथ लिखी गई ‘द वन’ शिखर धवन के आंतरिक विचारों और उन सभी कमजोरियों की अभूतपूर्व झलक पेश करती है, जिसने उन्हें आज एक चैम्पियन क्रिकेटर और संवेदनशील इंसान बनाया है.’
हार्पर कॉलिन्स इंडिया के प्रकाशक सचिन शर्मा के अनुसार, ‘शिखर धवन ने मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह एक अविश्वसनीय जीवन जिया है. इस अविस्मरणीय संस्मरण में शिखर ने अपने जीवन, क्रिकेट, रिश्तों और हर उस मुश्किल दौर के बारे में खुलकर बात की है, जिसका उन्होंने डटकर सामना किया और हर बार पहले से और मजबूत बनकर उभरे.’
दिल्ली के बेहद प्रतिस्पर्धी क्रिकेट माहौल में पले-बढ़े धवन ने शुरुआत विकेटकीपर के तौर पर की, लेकिन बाद में वह ओपनिंग बल्लेबाज बन गए. उन्होंने भारत के लिए 34 टेस्ट मैचों में 2315 रन, 167 वनडे (ODI) मैचों में 6793 रन और 68 टी20 इंटरनेशनल मुकाबलों में 1759 रन बनाए.
उन्होंने अपनी किताब में लिखा है, ‘जब मैं भारतीय टीम में जगह बनाने की कोशिश कर रहा था, तब सोशल मीडिया शुरुआती अवस्था में था और क्रिकेटरों पर बहुत कम नजर रखी जाती थी. लेकिन मीडिया प्लेटफॉर्म्स (प्रिंट और ब्रॉडकास्ट) उस दौर में अपने चरम पर थे.’
धवन कहते हैं, ‘टीम चयन और व्यक्तिगत क्रिकेट प्रदर्शनों पर खूब चर्चा होती थी और देश में पर्याप्त दर्शक भी मिलते थे. हालांकि आज के दौर से अलग, जब सोशल मीडिया किसी भी क्रिकेटर को एक ही रात में ‘हीरो’ से ‘जीरो’ बना सकता है, उन दिनों किसी भी धारणा को बदलने में काफी समय लगता था.’
भारतीय ड्रेसिंग रूम में अपनी एंट्री के बारे में उन्होंने कहा, ‘जब अक्टूबर 2010 में ऑस्ट्रेलिया एक छोटे दौरे पर भारत आई, तब मुझे बड़े लंबे इंतजार के बाद बुलावा मिला- बड़े खिलाड़ियों के साथ जुड़ने का मौका मिला.’
धवन यह भी लिखते हैं कि जब उन्होंने पहली बार महेंद्र सिंह धोनी को देखा, तो उनके मन में एक दिलचस्प ख्याल आया- ‘मैं उन्हें किसी बॉलीवुड फिल्म में लेना चाहता था; उनके लंबे बाल और सहज मुस्कान उन्हें एक फिल्म स्टार जैसा बना रहे थे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम मोटिवेशन के बारे में बात कर रहे थे, तभी मैंने अचानक कहा- मैं भारत के लिए खेलना चाहता हूं और मैं आपको बॉलीवुड हीरो बनाना चाहता हूं! इस पर वह जोर से हंसे और सिर पीछे झटका कर ठहाका लगाया.’ हालांकि उन्हें तीन वनडे मैचों के लिए चुना गया था, लेकिन कोच्चि और मडगांव में होने वाले पहले और तीसरे मैच बारिश के कारण रद्द हो गए थे.
धवन लिखते हैं, ‘कोच्चि में पहले मैच से पहले मेरे अंदर इतनी घबराहट थी कि मैं पूरी रात सो नहीं सका. लेकिन जब मैं सुबह उठा तो भारी बारिश हो रही थी और मेरी सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं. उस दिन कोई खेल संभव नहीं हो सका.’
वह याद करते हैं: ‘फिर, विशाखापत्तनम में दूसरे वनडे से ठीक पहले, मैंने अपनी घबराहट शांत करने के लिए एक नींद की गोली ली. मुझे लगा कि अच्छी नींद लेना जरूरी है, और मैं इस बात को लेकर चिंतित था कि अगर पहले मैच की तरह फिर एक रात बिना नींद के गुजर गई, तो इसका असर मेरे प्रदर्शन पर पड़ेगा.’
भारत ने टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया को फील्डिंग के लिए आमंत्रित किया. धवन का डेब्यू मैच शुरू हो चुका था. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने पहले बल्लेबाजी की और 289/3 रन बनाए. धवन ने मुरली विजय के साथ बल्लेबाजी की शुरुआत की. लेकिन पहले ही ओवर में क्लिंट मैके की दूसरी गेंद पर वे शून्य पर आउट हो गए.
उन्होंने लिखा, ‘मैं चेहरे पर मुस्कान लिए क्रीज से बाहर आया, लेकिन अंदर ही अंदर खुद को कोस रहा था. मैंने खुद को लंबे समय से भारत के लिए शानदार शॉट्स खेलते और ढेरों रन बनाते हुए कल्पना में देखा था, इसलिए असलियत को स्वीकार करना मेरे लिए बेहद मुश्किल था.’