डीडवाना – कुचामन : लगभग डेढ़ महीने पहले जब कुचामन नगर परिषद की साधारण बैठक आयोजित हुई थी उस बैठक में बी वॉयस निजी कंपनी को दिए गए करोड़ों रूपये के सफाई ठेके का पक्ष और विपक्ष दोनों ही और के पार्षदों का जमकर विरोध देखने को मिला था लेकिन बुधवार को हुई साधारण सभा की बैठक से पहले ना जानें, ऐसा क्या हुआ कि दो चार पार्षदों के अलावा सभी पार्षद सफाई ठेके के मुद्दे पर नत मस्तक नजर आएं.
पहले विरोध करने वाले पक्ष-विपक्ष के कुछ पार्षदों ने इस बार सफाई ठेके को जारी रखने पर मौन सहमति दे दी. पिछले बार उप सभापति हेमराज चावला के तेवर भी तीखे थे और उन्होंने भारी विरोध जताया था, लेकिन इस बैठक में उन्होंने भी हथियार डाल दिए और सफाई ठेके के मामले मे उपसभापति सहित अधिकांश पार्षदों ने भी इस व्यवस्था को स्वीकार किया. हालांकि भाजपा पार्षद छीतर मल कुमावत इस ठेका प्रथा के अब भी खिलाफ है और उन्होंने बैठक में खुलकर नाराजगी दिखाई.
सफाई ठेके के मुद्दे के अलावा बैठक में अन्य मुद्दों पर भीं चर्चा हुई. नगर परिषद में नेता प्रतिपक्ष अनिल सिंह मेड़तिया ने शहर के खान मोहल्ला स्थित मेड़तिया समाज की श्मशान भूमि और शहर के अन्य क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाने की मांग की. घाटी कुआं क्षेत्र के पार्षद अब्दुल फैसल ने पुराने शहर में छोटी और तंग गलियों में कचरा संग्रहण की बहुत समस्या है और वहां से कचरा उठाया नहीं जाता. आयुक्त देवी लाल ने इस पर तुरंत सफाई निरीक्षक को इस समस्या के समाधान के निर्देश दिए.
इस दौरान कई पार्षदों ने सफाई निरीक्षक पर उनके फोन रिसीव नहीं करने के आरोप लगाएं. सभापति आसिफ खान और आयुक्त देवी लाल ने इस पर सफाई निरीक्षक को सख्त लहजे में पार्षदों की हर बात सुनने के लिए निर्देशित किया. आयुक्त ने चेतावनी दी कि ऐसी शिकायतें आइंदा फिर से मिलने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
आपस में हुई धक्का – मुक्की
साधारण सभा की बैठक के दौरान जब पार्षद सफाई व्यवस्था को लेकर अपना अपना पक्ष रख रहे थे, तब भाजपा पार्षद बाबूलाल मारवाड़ा अपना पक्ष रखने लगे तो कांग्रेस के पार्षद फारूक टाक , सभापति के समक्ष कुछ बोलने लगे तो बाबूलाल ने उन्हें नीचे बैठ जाने को कहा. इस पर दोनो पार्षदों के बीच गर्मागर्मी हो गई.
इसी बीच कांग्रेस के पार्षद जवानाराम अपनी सीट से उठकर आए और बाबूलाल को उलाहना देने लगे. इस दौरान बाबूलाल खड़े हुए तो जवानाराम ने दो बार धक्का दिया. सभापति सहित पक्ष विपक्ष के पार्षदों ने मामला शांत करवाया.
कुल मिलाकर ये बैठक पूरी तरह से औपचारिक रही और ऐसा नजर आया कि बैठक में क्या फैसला होना है ये पूर्व में ही तय कर लिया गया था. अब इसके पीछे शहर का विकास है या निजी स्वार्थ यह सोचने वाली बात है.