पहले पाक एयरस्पेस, अब ईरान-इजराइल की जंग से भारतीय एयरलाइंस का हो रहा सत्यानाश!

भारतीय एयरलाइंस के लिए हालात दिन-ब-दिन मुश्किल होते जा रहे हैं. पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस भारतीय उड़ानों के लिए बंद कर दिया. अब ईरान और इजराइल के बीच तनाव और युद्ध की स्थिति के चलते ईरानी एयरस्पेस भी बंद हो गया है. ऊपर से अमेरिका के ईरान पर हमले की खबरों ने हालात को और बिगाड़ दिया है. नतीजा, भारतीय एयरलाइंस को अपनी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को चलाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. रास्ते लंबे हो गए हैं, ईंधन का खर्च बढ़ गया है, और टिकटों की कीमतें आसमान छू रही हैं.

इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की एविएशन एंड टूरिज्म एक्सपर्ट कमिटी के चेयरमैन सुभाष गोयल का कहना है कि सिर्फ पाकिस्तान और ईरान का ही एयरस्पेस बंद नहीं हुआ है, बल्कि कई और देशों के हवाई रास्ते भी भारतीय उड़ानों के लिए उपलब्ध नहीं हैं. इससे दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से उड़ान भरने वाली अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स पर खासा असर पड़ रहा है. लंबे रास्तों की वजह से एयरलाइंस का ईंधन खर्च बढ़ रहा है, और ये बढ़ा हुआ खर्च आखिरकार यात्रियों की जेब से ही वसूला जा रहा है. टिकटों की कीमतों में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है.

लंबा रास्ता, ज्यादा खर्चा और यात्रियों की जेब ढीली

एविएशन एक्सपर्ट और सेफ्टी मेटर्स फेडरेशन के फाउंडर अमित सिंह का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के रास्ते अब इतने लंबे हो गए हैं कि एयरलाइंस को बीच में कम से कम एक स्टॉप लेना पड़ रहा है. यानी, जो फ्लाइट पहले नॉन-स्टॉप हुआ करती थीं, अब उन्हें रास्ते में कहीं रुकना पड़ रहा है. इससे न सिर्फ यात्रियों का समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि एयरलाइंस का खर्च भी बढ़ रहा है. अमित सिंह ने बताया कि कुछ विदेशी एयरलाइंस अभी भी पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन भारतीय एयरलाइंस के लिए ये रास्ता पूरी तरह बंद है.

सुभाष गोयल ने भी इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ हवाई रास्ते बंद होने की ही समस्या नहीं है. तेल का आयात भी महंगा होता जा रहा है, जिसका सीधा असर एविएशन सेक्टर पर पड़ रहा है. जब एयरलाइंस को ज्यादा ईंधन जलाना पड़ रहा है, ज्यादा स्टॉप लेने पड़ रहे हैं, और तेल की कीमतें भी बढ़ रही हैं, तो जाहिर है कि इसका बोझ यात्रियों पर ही पड़ना है.

ईरानी एयरस्पेस बंद होने से और बढ़ी मुश्किलें

पहले भारतीय एयरलाइंस पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल करके ईरान के रास्ते लंदन, न्यूयॉर्क, कनाडा, सैन फ्रांसिस्को और यूरोप के कई देशों के लिए उड़ान भरती थीं. लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल गए हैं. पाकिस्तान का एयरस्पेस तो बंद है ही, भारतीय एयरलाइंस अफगानिस्तान के हवाई रास्ते का भी इस्तेमाल नहीं कर रही हैं. ईरान का एयरस्पेस भी अब बंद हो चुका है. इसके अलावा, इराक, सीरिया, इजराइल और जॉर्डन के एयरस्पेस भी भारतीय उड़ानों के लिए उपलब्ध नहीं हैं.

इसके चलते भारतीय एयरलाइंस को अब गुजरात के भुज और जामनगर के बीच अरब सागर के ऊपर से उड़ान भरनी पड़ रही है. यहां से वो ओमान और यूएई के एयरस्पेस का इस्तेमाल करके अरब की खाड़ी के ऊपर से ग्रीस, नॉर्थ मैसेडोनिया जैसे देशों के रास्ते लंदन, अमेरिका और यूरोप के बाकी देशों तक पहुंच रही हैं. इस लंबे रास्ते की वजह से उड़ानों का समय बढ़ गया है, ईंधन की खपत बढ़ गई है, और एयरलाइंस को ऑपरेशन मैनेज करना बेहद मुश्किल हो गया है.

दिल्ली और आसपास के एयरपोर्ट्स पर ज्यादा असर

सबसे ज्यादा मार दिल्ली और इसके आसपास के एयरपोर्ट्स से उड़ान भरने वाली अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स पर पड़ रही है. दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, और गुजरात जैसे राज्यों से उड़ान भरने वाली फ्लाइट्स को पाकिस्तानी सीमा के पास के आधे हिस्से से बचना पड़ रहा है. इसका मतलब है कि फ्लाइट्स को सीधे रास्ते की बजाय घुमावदार और लंबा रास्ता लेना पड़ रहा है.

उदाहरण के लिए, दिल्ली से लंदन की फ्लाइट पहले पाकिस्तान और ईरान के ऊपर से होकर सीधे यूरोप पहुंच जाया करती थी. लेकिन अब उसे अरब सागर के ऊपर से ओमान, यूएई, और फिर ग्रीस के रास्ते जाना पड़ रहा है. इस रास्ते में न सिर्फ समय ज्यादा लग रहा है, बल्कि ईंधन का खर्च भी दोगुना हो गया है. यही वजह है कि टिकटों की कीमतें बढ़ रही हैं, और यात्रियों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं.

पूरे टूरिज्म इंडस्ट्री पर इसका असर

इस पूरे मामले का असर सिर्फ एयरलाइंस या यात्रियों तक सीमित नहीं है. टूरिज्म इंडस्ट्री भी इससे प्रभावित हो रही है. सुभाष गोयल ने बताया कि टिकटों की बढ़ती कीमतों की वजह से लोग अब विदेश यात्रा करने से पहले दो बार सोच रहे हैं. खासकर यूरोप और अमेरिका जैसे लंबी दूरी के डेस्टिनेशन्स के लिए टिकट इतने महंगे हो गए हैं कि मध्यम वर्ग के लिए ये यात्राएं अब जेब पर भारी पड़ रही हैं.

इसके अलावा, लंबे रास्तों और बीच में स्टॉप की वजह से यात्रियों को भी असुविधा हो रही है. जो लोग पहले 8-10 घंटे में लंदन पहुंच जाया करते थे, उन्हें अब 12-14 घंटे लग रहे हैं. इससे न सिर्फ समय की बर्बादी हो रही है, बल्कि थकान भी बढ़ रही है.

इसका समाधान क्या है?

एविएशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस समस्या का तुरंत कोई समाधान निकलना मुश्किल है. जब तक पाकिस्तान, ईरान, और बाकी देशों के एयरस्पेस फिर से भारतीय उड़ानों के लिए नहीं खुलते, तब तक एयरलाइंस को इसी तरह लंबे रास्तों से काम चलाना होगा. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करके वैकल्पिक रास्तों और ईंधन सब्सिडी जैसे उपायों पर विचार करना चाहिए.

अमित सिंह ने सुझाव दिया कि भारतीय एयरलाइंस को अपने ऑपरेशन्स को और ऑप्टिमाइज करना होगा. मिसाल के तौर पर, वो ज्यादा ईंधन-कुशल विमानों का इस्तेमाल कर सकती हैं, या फिर रास्ते में पड़ने वाले स्टॉप को इस तरह प्लान कर सकती हैं कि यात्रियों को कम से कम असुविधा हो. लेकिन ये सारे उपाय तात्कालिक हैं. असली समाधान तो तभी निकलेगा, जब जियोपॉलिटिकल हालात सुधरेंगे.

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