जिंदगी कभी-कभी ऐसे मोड़ पर ले आती है जहां शब्द भी सांत्वना नहीं दे पाते, कुछ ऐसा ही हुआ है मेरठ कलेक्ट्रेट में तैनात 29 वर्षीय क्लर्क ईशांत सिंह के घर में. जहां ईशांत की अचानक हार्ट अटैक से मौत ने सबको झकझोर दिया. उनके माता-पिता की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी और अब बेटा भी दुनिया छोड़ गया. परिवार में सिर्फ रह गई अकेली पत्नी. जिसकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे.
ईशांत सिंह की सोमवार सुबह बाथरूम में गिरने से मौत हो गई, बताया जा रहा है कि उन्हें 12 घंटे में दो बार दिल का दौरा पड़ा. पहली बार रविवार रात और दूसरी बार सोमवार तड़के. यह घटना मेरठ के प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए न सिर्फ चौंकाने वाली रही, बल्कि भावनात्मक रूप से भी झकझोर देने वाली साबित हुई. जिलाधिकारी सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने तहसील परिसर स्थित आवास पर पहुंचकर शोक जताया.
मृतक आश्रित कोटे से मिली थी नौकरी
जानकारी के मुताबिक, ईशांत सिंह कलेक्ट्रेट के इंग्लिश रिकॉर्ड अनुभाग में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे. कुछ साल पहले उनकी मां की मृत्यु के बाद उन्हें मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी मिली थी. उनके पिता की भी मृत्यु पहले ही हो चुकी थी. करीब पांच वर्ष पहले उनकी शादी हुई थी. पत्नी के साथ वे कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित सरकारी आवास में ही रह रहे थे. ईशांत का 22 जुलाई को 30वां जन्मदिन था, जिसे लेकर घर में सादगी से कुछ तैयारी चल रही थी. किसी को अंदाजा नहीं था कि यह जन्मदिन अब कभी नहीं आएगा.
दो बार पड़ा दिल का दौरा
परिवार और कार्यालय से जुड़े लोगों ने बताया कि रविवार रात करीब 10 बजे ईशांत को सीने में तेज दर्द की शिकायत हुई. परिजन और परिचित उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल ले गए, जहां प्राथमिक जांच के बाद ईसीजी और कुछ टेस्ट कराए गए. चिकित्सकों ने कुछ समय आराम करने की सलाह दी और उन्हें घर भेज दिया. सोमवार सुबह करीब 6 बजे, ईशांत रोज़ की तरह बाथरूम गए. तभी अचानक उन्हें फिर सीने में तेज दर्द हुआ और वे वहां गिर पड़े. गिरने की आवाज सुनकर पत्नी तुरंत बाथरूम की ओर दौड़ी और दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. घबराकर उन्होंने आसपास के कर्मचारियों को बुलाया. कर्मचारियों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया और ईशांत को बाहर निकालकर तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
अंतिम संस्कार और शोक की लहर
दोपहर में सूरजकुंड श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान रिश्तेदारों, सहकर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में गमगीन माहौल रहा. किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि 29 वर्ष की उम्र में, जीवन की शुरुआत में, कोई यूं अचानक चला जाएगा.
अब घर में अकेली बचीं पत्नी
ईशांत की मौत से जहां प्रशासनिक परिवार शोक में डूबा है, वहीं घर में अब उनकी पत्नी अकेली रह गई हैं. कलेक्ट्रेट में कार्यरत कई कर्मचारियों ने कहा कि ईशांत बेहद शांत, सरल और जिम्मेदार स्वभाव के इंसान थे. अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाते थे और कभी किसी से ऊंची आवाज में बात करते नहीं देखा गया.
स्वास्थ्य को लेकर बढ़ते सवाल
ईशांत के साथ काम करने वाले साथियों का कहना है कि उनकी उम्र महज 29 साल थी. इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक से मौत होना सभी के लिए चिंता का विषय है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसी को बार-बार सीने में दर्द हो रहा हो, तो उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. नियमित जांच, संतुलित जीवनशैली और मानसिक तनाव से दूरी, समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है.
प्रशासनिक परिवार में शोक
ईशांत की मौत से जिला प्रशासन से जुड़े तमाम कर्मचारियों और अधिकारियों में शोक की लहर दौड़ गई. जिलाधिकारी मेरठ सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके आवास पहुंचकर अंतिम दर्शन किए और परिवार को ढांढस बंधाया. सभी ने इस असमय निधन को बड़ी क्षति बताया.