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गरियाबंद में बाढ़ से 40 लाख का मक्का बर्बाद, देवभोग-अमलीपदर में 100 एकड़ फसल चौपट, किसानों ने मुआवजे की मांग की

गरियाबंद जिले में भारी बारिश और बाढ़ से किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। देवभोग और अमलीपदर तहसील क्षेत्रों में लगभग 100 एकड़ में लगी 40 लाख रुपए की मक्का फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। बरही नदी में आई बाढ़ ने अमाड़ गांव के 9 से अधिक किसानों को प्रभावित किया है।

यहां 15 एकड़ में लगी लगभग 6 लाख रुपए की मक्का और धान की फसल चौपट हो गई है। किसानों को 2 लाख रुपए से अधिक का साहूकारी कर्ज चुकाने की चिंता सता रही है। अमाड़ गांव के किसान मोहन बीसी, शत्रुघ्न नागेश, तुलसी नागेश, गणेश पौंड, पुस्तम, लक्ष्मण, नरेश और विनोद सहित अन्य छोटे किसानों ने बरही नदी के कछार पर मक्के की खेती की थी।

बीज और गुड़ाई के लिए लिया था कर्ज

उन्होंने खाद, बीज और गुड़ाई के लिए 2 से 5 प्रतिशत ब्याज दर पर साहूकारी कर्ज लिया था। शनिवार को नदी में आई बाढ़ के तेज बहाव से मक्के के सारे पौधे टूटकर झुक गए, जिससे किसानों की फसल बर्बाद हो गई। किसानों ने बताया कि वे दूध भरे मक्के को तोड़कर बाजार में बेचने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें मूलधन भी नहीं मिल पाएगा।

किसानों ने लगाई मुआवजे की गुहार

किसानों ने सरकार से फसल की मुआवजे की मांग की है, ताकि वे अपना कर्ज चुका सकें। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बाढ़ की एक बड़ी वजह ओडिशा सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ की भूमि पर बनाए गए 30 मीटर के बॉक्स कल्वर्ट पुल है।

यह पुल नवरंगपुर जिले के चंदहांडी ब्लॉक को कालाहांडी से जोड़ने के लिए बनाया गया था। पुल बनने से ओडिशा के लोगों को फायदा हुआ, लेकिन जब भी नदी में बाढ़ आती है, छत्तीसगढ़ के किसानों को उसकी कीमत चुकानी पड़ती है। शुरुआत से ही पुल निर्माण का विरोध किया गया था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

देवभोग और अमलीपदर में 40 लाख की मक्का फसल बर्बाद

अमाड़ गांव ही नहीं, देवभोग और अमलीपदर तहसील क्षेत्र में भी नुकसान का आंकड़ा बड़ा है। नदियों और नालों के किनारे बोई गई कछार भूमि की फसलें बाढ़ की चपेट में आ गई हैं। 100 एकड़ से अधिक रकबे में लगभग 40 लाख रुपये की मक्का फसल बर्बाद हुई है। इसके अलावा धान और सब्जी की फसलें भी प्रभावित हुई हैं।

तहसीलदार ने दिए नुकसान आकलन के निर्देश

देवभोग तहसीलदार अजय कुमार चंद्रवंशी ने बताया कि लगातार बारिश के कारण फसल और मकानों के क्षतिग्रस्त होने की सूचनाएं मिल रही हैं। पटवारियों की टीम गठित कर नुकसान का आकलन किया जा रहा है और रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी।

बाढ़ के खतरनाक दृश्य, फिर भी लापरवाही

त्रिवेणी संगम समेत कई क्षेत्रों में नदी-नालों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। इसके बावजूद लोग जान जोखिम में डालकर सेल्फी और रील बनाते नजर आ रहे हैं। देवभोग तहसील मुख्यालय से संपर्क के लिए एकमात्र रास्ता बेलाट नाले पर स्थित है। यहां तीन दिनों में दर्जनों हादसे हो चुके हैं, लेकिन कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए हैं। लोग अपने जोखिम पर ही पार कर रहे हैं।

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