अयोध्या : पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले और पाकिस्तान की संसद में पीपीपी सांसद पलवशा मोहम्मद जई खान द्वारा रामजन्मभूमि को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद से देश की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं. खासकर अयोध्या स्थित अतिसंवेदनशील रामजन्मभूमि परिसर, जिसे रेड जोन घोषित किया गया है, वहां सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. पूरे परिसर में अब प्रतिदिन मॉक ड्रिल की जा रही है ताकि किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षा बलों की तत्परता सुनिश्चित की जा सके.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में बुधवार को सभी राज्यों को सिविल डिफेंस की मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत मंगलवार को अयोध्या के सुरक्षा अधिकारियों ने आपातकालीन उपकरणों की गुणवत्ता को परखा. इस दौरान सायरन बजाकर आपातकालीन स्थिति का अभ्यास किया गया और वायरलेस के माध्यम से सूचना दी गई कि चार संदिग्ध लोग परिसर में घुस आए हैं.
रामजन्मभूमि परिसर की सुरक्षा को अब देश की सीमाओं जैसी फुलप्रूफ व्यवस्था में तब्दील कर दिया गया है। राममंदिर निर्माण के बाद इसे और अधिक अत्याधुनिक बनाया गया है. चूंकि यह आतंकियों की हिट लिस्ट में शामिल रहा है, इसलिए समय-समय पर सुरक्षा का परीक्षण होता रहा है. हालांकि यह पहली बार है जब लगातार कई दिनों से मॉक ड्रिल की जा रही है, जिससे यह स्पष्ट है कि सुरक्षा एजेंसियां किसी भी प्रकार की चूक को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहतीं.
इतिहास गवाह है कि अयोध्या को अस्थिर करने की साजिश 1999 से ही शुरू हो चुकी थी. सबसे पहले 28 मई 1999 को अयोध्या रेलवे स्टेशन पर एक झोले में बम रखा गया था. इसके बाद 13 जून को हनुमानगढ़ी मंदिर के बाहर कुकर बम प्लांट किया गया. हालांकि दोनों बार पुलिस ने सतर्कता दिखाते हुए बमों को समय रहते डिफ्यूज कर दिया. इस दौरान एक बम पुलिस लाइन में डिफ्यूज करते समय फट गया था. इसके बाद 5 जुलाई 2005 को रामजन्मभूमि परिसर पर बड़ा हमला हुआ जिसमें पांच फिदायीन आतंकी मारे गए.
इन सभी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में सुरक्षा व्यवस्था को पहले से कहीं अधिक मजबूत किया गया है.आधुनिक उपकरणों, सीसीटीवी कैमरों, प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों और नियमित मॉक ड्रिल्स के जरिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि अयोध्या की धार्मिक और राष्ट्रीय महत्ता को किसी भी सूरत में खतरा न पहुंचे.