भारत में मिलने वाले जूते-चप्पल अमेरिकी या यूरोपीय नाप के होते हैं. यही वजह है कि वे हमारे देश के लोगों के पैरों में फिट नहीं आते. दरअसल, भारतीयों के पैर अमेरिकियों और यूरोपीयनों से ज्यादा चौड़े होते हैं, लेकिन कंपनियां जूते-चप्पल अमेरिकियों या यूरोपीय लोगों के पैर की लंबाई-चौड़ाई के आधार पर ही तैयार करती हैं. अब यह व्यवस्था बदलने वाली है.
अब जूते-चप्पलों के भारतीय मानक तैयार हो रहे हैं. अगले साल यानी 2025 से कंपनियां अलग से भारतीयों के लिए फुटवियर तैयार करेंगी. इसके लिए ‘भा’ (Bha) कोड रखा गया है, जिसका मतलब भारत से है. इसके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड से मान्यता मिलनी बाकी है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
भारतीयों के पैर की आकृति और आकार समझने के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च और सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पूरे भारत में सर्वे किया. इसमें यह भी पता चला कि महिलाओं के पैरों का आकार 11 साल की उम्र तक बढ़ता है, जबकि पुरुषों में यह 15-16 साल तक बढ़ता रहता है.
इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह भारत का बड़ा बाजार है. यहां हर भारतीय के पास औसतन 1.5 जूते हैं. ऑनलाइन खरीदे गए 50% फुटवियर सही नाप न होने से लौटा दिए जाते हैं. नई व्यवस्था में अब कंपनियों को 10 की बजाय 8 साइज में ही फुटवियर बनाने होंगे.
पैर की आकृति और आकार को समझने के लिए दिसंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच एक सर्वे किया गया था. इस सर्वे में पांच भौगोलिक क्षेत्रों में 79 स्थानों पर रहने वाले करीब 1,01,880 लोगों को शामिल किया गया.
इतना ही नहीं बल्कि भारतीय पैर के आकार, आयाम और संरचना को समझने के लिए 3D फुट स्कैनिंग मशीनें तैनात की गई. इसमें पाया गया कि एक औसत भारतीय महिला के पैर के आकार में बदलाव 11 साल की उम्र में चरम पर होता है जबकि एक भारतीय पुरुष के पैर के आकार में बदलाव लगभग 15 या 16 साल में होता है.