पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले के नादनघाट इलाके में स्थित किशोरिगंज मनमोहनपुर प्राथमिक स्कूल में सालों से एक चौंकाने वाली परंपरा चली आ रही थी. यहां हिंदू और मुस्लिम बच्चों के लिए अलग-अलग रसोइयों से खाना बनता था. हिंदू बच्चों का खाना एक रसोइया बनाता और मुस्लिम बच्चों का दूसरा. बर्तन, चूल्हा और गैस तक अलग-अलग थे. बच्चे एक ही बेंच पर बैठकर पढ़ते थे, लेकिन खाना खाने के समय धर्म के आधार पर बंट जाते थे.
स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा कि वह खुद इस भेदभाव के खिलाफ हैं लेकिन सालों से चली आ रही इस व्यवस्था को वह अकेले नहीं बदल पा रहे थे. मीडिया में खबर आने के बाद इस मामले ने राज्यभर में हलचल मचा दी. इसके बाद स्कूल प्रशासन ने तत्काल एक अभिभावक बैठक बुलाई.
बैठक में अभिभावकों, शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन ने मिलकर यह तय किया कि अब धर्म के आधार पर खाना नहीं बनेगा. बच्चों को एक साथ, एक ही रसोई से बना हुआ मिड-डे मील दिया जाएगा. प्रधानाध्यापक की पहल से यह बदलाव संभव हो पाया. बताया जा रहा है कि यह व्यवस्था साल 2000 से चली आ रही है.
सालों से चली आ रही इस व्यवस्था
अब इस स्कूल में धार्मिक भेदभाव की जगह एकता की मिसाल देखने को मिलेगी. यह फैसला बच्चों को न सिर्फ अच्छा खाना देगा बल्कि एकता और समानता का पाठ भी पढ़ाएगा. बता दें, इस स्कूल में करीब 72 छात्र हैं. जिसमें 29 मुस्लिम और 43 हिंदू हैं. मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं.