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प्रतापपुर क्षेत्र में वन विभाग ने पकड़ी अवैध साल लकड़ी की खेप, लंबे समय बाद सक्रिय हुआ वन विभाग… 42 नग साल काष्ठ जप्त

 

सूरजपुर: लंबे समय बाद वन विभाग ने प्रतापपुर परिक्षेत्र में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. ग्राम बंशीपुर के जंगल में पिछले एक सप्ताह से 25 से 30 हाथियों का दल लगातार विचरण कर रहा है. इन पर नजर रखने के लिए वन विभाग के कर्मचारी और हाथी मित्र दल लगातार निगरानी में जुटे थे. इसी दौरान 29 सितंबर की रात करीब 1 बजे मुखबिर से सूचना मिली कि ग्राम झींगादोहर के पंडोपारा इलाके में एक बोलेरो वाहन में अवैध साल लकड़ी लोड की जा रही है.

सूचना मिलते ही मुख्य वन संरक्षक दिलराज प्रभाकर के मार्गदर्शन और वनमंडलाधिकारी पंकज कुमार कमल के नेतृत्व में दो विशेष दल तुरंत मौके की ओर रवाना हुए. रात्रि गश्त और हाथी मित्र दल की मदद से पंडोपारा में घेराबंदी की गई. रात लगभग 2 बजकर 10 मिनट पर महिंद्रा बोलेरो (पंजीयन क्रमांक CG 15 B 2857) को पकड़ लिया गया.हालांकि अंधेरे का फायदा उठाकर वाहन चालक मौके से भागने में सफल रहा.

वाहन की जांच करने पर उसमें 19 नग अवैध साल काष्ठ चिरान बरामद हुआ। इसके बाद अगले दिन 30 सितंबर की सुबह वन विभाग ने आसपास के खेतों और झाड़ियों में गहन खोजबीन की. तलाशी के दौरान गन्ना और मक्का के खेतों से अतिरिक्त 23 नग अवैध साल काष्ठ चिरान जब्त किया गया. इस तरह कुल 42 नग लकड़ी बरामद की गई.

वन विभाग ने इस मामले में वन अपराध दर्ज कर भारतीय वन अधिनियम 1927 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है। विभाग का मानना है कि यह संगठित अवैध कटाई का मामला है और इसमें शामिल अन्य लोगों की तलाश की जा रही है.

इस पूरी कार्यवाही में उपवनमंडलाधिकारी प्रतापपुर, वन परिक्षेत्राधिकारी प्रतापपुर, परिक्षेत्र सहायक सोनगरा और बंशीपुर, परिसर रक्षक झींगादोहर, सोनगरा और सकलपुर सहित हाथी मित्र दल और सुरक्षा श्रमिकों की सराहनीय भूमिका रही.

वन विभाग की यह कार्रवाई लंबे समय से सुस्त पड़े तंत्र की सक्रियता को दर्शाती है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अवैध लकड़ी तस्करों के हौसले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे थे, लेकिन अब इस कार्रवाई से उनमें हड़कंप मच गया है. ग्रामीणों ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में भी विभाग इसी तरह सक्रिय रहकर अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाएगा.

यह कार्रवाई न केवल वन संपदा की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि क्षेत्र में हाथियों के लगातार विचरण के बीच सुरक्षा और संतुलन बनाए रखने का भी बड़ा कदम माना जा रहा है.

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