गाज़ीपुर : आप डीएनए चेक करते हैं ताकि पता चल सके की रिश्ता क्या है लेकिन हम वंशावली ढूंढ रहे हैं ताकि पता चले कि हमारे पूर्वज कौन है।ऐसे में वह परिवार जिन्हें हम भारतीय मुसलमान कहते हैं उनके डीएनए और वंशावली को जब खोजे जाएंगे और उसके 10 से 20 पीढ़ी ऊपर जाएंगे तो आपको भारतीय और सनातन मूल के मानने वाले संतान ही आपको मिलेंगे.
यह बात विशाल भारत संस्थान के कार्यक्रम में कुंअर नसीम रजा सिकरवार हिंदू मुस्लिम संवाद केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहीं और बताया कि वह खुद अपनी खानदान के 22 पीढ़ी ऊपर जाने पर वंशावली का नाम गिना सकता हूं.इसमें 12 पीढ़ी हिंदू और 10 पीढ़ी मुसलमान है.जो साबित करने के लिए काफी है कि यहां का जो मुस्लिम है वह भारतीय मुस्लिम है और हमने जो उधार की टाइटल खान है.
उसे हटाकर अब अपने नाम के आगे सिकरवार लगाया है क्योंकि हम लोग 12 पीढ़ी पहले सिकरवार समाज से ही आते है.और आज हमारे हिंदू और मुसलमान की पीढ़ियों में आज भी रिश्तेदारियां चलती हैं हालांकि सिर्फ पूजा पद्धति अलग है.
विशाल भारत संस्थान के हिंदू मुस्लिम संवाद केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुंअर मुहम्मद नसीम रजा सिकरवार जो गाजीपुर के दिलदारनगर इलाके के रहने वाले हैं. और इनके पूर्वज हिंदू सनातन धर्म से आते हैं इनकी बात मानी जाए तो आज से करीब 10 पीढ़ी पहले बिहार के मोहनिया थाना अंतर्गत ग्राम समुहता के रहने वाले कुंवर नवल सिंह ने इस्लाम ग्रहण किया था.इसके बाद उन्हें जमानिया परगना का जागीर देते हुए इनका नामकरण मुहम्मद दीनदार हुआ था और उन्हीं के नाम पर दीनदारनगर गांव की स्थापना हुई.जो आगे चलकर दिलदारनगर के नाम से मशहूर हो गया.
नसीम रजा सिकरवार बताते हैं कि उनका परिवार हिंदू भी है और मुसलमान भी क्योंकि नवल सिंह से पूर्व के जो भी उनके परिवार के लोग हैं वह आज भी बिहार के मोहनिया थाना क्षेत्र के समहुता गांव में रहते हैं.जिनके यहां इनका आना-जाना लगा रहता है यहां तक की यह उनके होली दीपावली के साथ ही उनके शादी विवाह में भी शामिल होते हैं.और परिवार की तरह निमंत्रण भी करते हैं.और वे लोग भी इनके यहां ईद बकरीद के साथ ही अन्य धार्मिक और पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होते हैं और रिश्तो का निर्वहन करते हैं.
अपना विचार साझा करते हुए हिन्दू मुस्लिम संवाद केन्द्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुंअर मुहम्मद नसीम रजा सिकरवार ने कहा कि हम जब भी अपने पूर्वजों की तलाश करेंगे तो एक ही खानदान के निकल जाएंगे.हमारे पूर्वज कुंअर नवल सिंह ही दीनदार खाँ हुए और उन्होंने दिलदार नगर बसाया.जब यह बात अन्य लोगों को पता चली तो देशभर में मेरे रिश्तेदार भी मिलने लगे.
भारत में रहने वाले सभी एक दूसरे से जुड़े हैं, बस पीछे जाकर अपने पूर्वजों को खोजने की जरूरत है.हमें भारतीय संस्कृति मूल के सनातन हिंदू, क्षत्रिय राजपूत उपजाति सिकरवार भारतीय मुस्लिम होने पर गर्व है.हमने तो अपनी दस पीढ़ी मुस्लिम पूर्वज मुहम्मद दीनदार उर्फ़ कुंअर नवल सिंह सिकरवार परगना जमानियां के जागीरदार एवं स्थापनकर्ता दिलदारनगर, ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश और बारह पीढ़ी उपर हिंदू पूर्वज खोज निकाला.कुल मिला कर बाईस पीढ़ी ऊपर मेरे पूर्वज राजा राजर्षि शारीवाहन महाराज से मिलता है जो चैनपुर भभुआ कैमूर बिहार के राजा रहे थे.
कुछ साल पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार का आगमन एक कार्यक्रम दिलदारनगर में आयोजित हुआ था.उस कार्यक्रम में भी उनके परिवार के हिंदू सदस्य शामिल हुए थे और गर्व से कहा था कि कुंअर नसीम रजा उनके परिवार से ही आते हैं.
कुंअर नसीम रजा सिकरवार की बात किया जाए तो यह पुराने धरोहरों को सहेजने का काम करते हैं.और इस धरोहरों को सहने के क्रम में जब इन्होंने अपने पिता से मिली विरासत में पांडुलिपि और वंशावलियों को ढूंढना आरंभ किया था तब यह अपने पूर्वज नवल सिंह उर्फ दीनदार ख़ान तक पहुंचे थे.तब उन्हें पता चला कि वह नवल सिंह के परिवार से आते हैं.
जो सनातन हिंदू धर्म के थे वहीं अब कुंवर नसीम रजा सिकरवार अपने खानदान के 22 पीढ़ियों तक को खोज निकाला है.इनके धरोहरों की बात करें तो उनके पास करीब 25 सालों के अखबार, हज़ारों पुराने सिक्के, पांडुलिपियाँ, फ़ारसी दस्तावेज, देशी विदेशी डाक टिकट, करीब सैकड़ो साल के लगभग पांच हजार शादी के कार्ड, सहित बहुत सारे दस्तावेजात उनके पास सुरक्षित मौजूद है.
इतना ही नहीं इन्हीं दस्तावेजों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग के द्वारा एक म्यूजियम की भी सौगात मिली थी जो बनकर तैयार है.बहुत जल्द ही शोध कार्य एवं पर्यटको के सार्वजनिक हो जायेगा.
बता दे की कुंवर नवल सिंह ने जब इस्लाम ग्रहण किया और उसके बाद से अब तक उनके वंशज जिस इलाके में रहते हैं उस इलाके को कमसारो बार के नाम से भी जाना जाता है.और इस कमसार के इलाके में गंगा पार के करीब दर्ज़नो गांव आते हैं.