सागर: आमतौर पर उपभोक्ता अपने अधिकारों को लेकर सजग नहीं रहते. इसका फायदा व्यावसायी और कंपनियां उठाती हैं. सागर जिले के बीना के चक्रेश जैन ने उन उपभोक्ताओं के सामने बड़ी मिसाल कायम की है, जो ऐसे मामलों में वक्त की बर्बादी मानकर अपना नुकसान कराते हैं और कंपनियों को लूटने की खुली छूट देते हैं. खास बात ये है कि चक्रेश जैन ने महज डेढ़ रुपए को लेकर गैस एजेंसी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में 7 साल तक मुकदमा लड़ा और जीत हासिल की. उनका कहना है कि पैसा कितना भी हो, लेकिन हर उपभोक्ता को अपने अधिकार के लिए सजग होना चाहिए.
गैस एजेंसी ने उपभोक्ता से डेढ़ रुपया ज्यादा लिया
दरअसल, 14 नवम्बर 2017 को चक्रेश जैन ने बीना की विजय श्री गैस एंजेसी में गैस सिलेंडर बुक किया. 15 नवम्बर 2017 को हॉकर उनके यहां गैस सिलेंडर की डिलेवरी करने पहुंचा. उसने 753.50 रुपए का बिल चक्रेश जैन को थमाया. चक्रेश जैन ने हॉकर को 755 रुपए दिए और डेढ़ रुपए वापस मांगे. हॉकर डेढ़ रुपए खुल्ले ना होने की बात कहकर वापस जाने लगा. चक्रेश जैन ने डेढ़ रुपए वापस करने पर जोर दिया तो उसने एजेंसी के मालिक से बात करने कहा. जब उन्होंने एजेंसी संचालक विजय हुरकट से बात की तो उन्होंने मजाक उडाया.
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के टोल फ्री नंबर पर की शिकायत
आखिरकार गैस एजेंसी के हॉकर ने चक्रेश जैन से 755 रुपए लेकर इतनी की ही रसीद पर दस्तखत कर दिए. इसी रशीद के आधार पर चक्रेश जैन ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद गैस एजेंसी को नोटिस दिया गया. समस्या का निदान ना होने पर 2019 में उन्होंने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग सागर में केस कर दिया.
उपभोक्ता फोरम में 7 साल चली लंबी लड़ाई
इस मामले में चक्रेश जैन ने उपभोक्ता के अधिकार और अपने स्वाभिमान के लिए 7 साल तक लंबी लड़ाई लड़ी. कई बार लोगों ने उनका मजाक बनाया. गैस एंजेसी संचालक ने भी केस वापस करने के लिए अलग-अलग तरह से दबाव बनाया, लेकिन वह पीछे नहीं हटे. आखिरकार 7 साल बाद इस मामले में आयोग के अध्यक्ष राजेश कुमार कोष्टा और सदस्य अनुभा वर्मा ने साक्ष्यों के आधार पर सेवा में कमी मानते हुए गैस एजेंसी के संचालक के खिलाफ आदेश पारित किया.
उपभोक्ता फोरम ने क्या आदेश सुनाया
इस मामले में उपभोक्ता फोरम ने गैस एंजेसी संचालक को दो माह के भीतर उपभोक्ता चक्रेश जैन के डेढ़ रुपए 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से लौटाने को कहा है. इसके अलावा गैस एजेंसी संचालक को सेवा में कमी, व्यावसायिक कदाचरण और उपभोक्ता को मानसिक और आर्थिक क्षति पहुंचाने का दोषी मानते हुए केस में उपभोक्ता के खर्च हुए पैसे और 2 हजार रुपए का भुगतान 2 माह के अंदर करने के आदेश दिए हैं. चक्रेश जैन की तरफ से वकील राजेश सिंह ने केस लड़ा.