दमोह: मध्यप्रदेश के दमोह से जनरेट की गई दो आधार आईडी का दुरुपयोग कर देश के 6 राज्यों और मध्य प्रदेश के 19 से अधिक जिलों में फर्जी आधार कार्ड बनाए जाने का बड़ा मामला सामने आया है. यह चौंकाने वाला खुलासा दो अलग-अलग गोपनीय शिकायतों की जांच के बाद हुआ है. खास बात यह है कि यह फर्जीवाड़ा कलेक्टर कार्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित एक आधार केंद्र से अंजाम दिया गया.
2 आधार आईडी से देशभर में फैला फर्जीवाड़ा
7 अप्रैल को दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर को एक गोपनीय शिकायत मिली कि आधार ID 29026 से भिंड जिले में फर्जी आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं. कलेक्टर ने इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए UIDAI को पत्र लिखा. UIDAI की रिपोर्ट (16 अप्रैल) में पुष्टि हुई कि उक्त आईडी से न सिर्फ भिंड, बल्कि MP के उज्जैन, देवास, इंदौर, जबलपुर, पन्ना, सागर सहित 18 जिलों में आधार बनाए गए.
दूसरी शिकायत 15 अप्रैल को सामने आई, जिसमें बताया गया कि दूसरी आधार ID 29832 से न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और झारखंड जैसे राज्यों के दर्जनों जिलों में आधार बनाए गए.
जिम्मेदारों का पता नहीं लगा पाई पुलिस
कलेक्टर की रिपोर्ट पर 2 मई को कोतवाली थाने में अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई, लेकिन अभी तक पुलिस किसी भी ज़िम्मेदार तक नहीं पहुंच पाई है. ई-गवर्नेंस प्रभारी महेश अग्रवाल और लोक सेवा केंद्र प्रबंधक चक्रेश पटेल एक-दूसरे पर जवाबदेही डाल रहे हैं. अब सवाल उठता है कि आधार किट का मासिक भौतिक सत्यापन आखिर किसकी ज़िम्मेदारी है?
UIDAI और सिस्टम पर भी उठे सवाल
ई-गवर्नेंस प्रभारी ने बताया कि यह कोई पहला मामला नहीं है. प्रदेश में अब तक 1000 से ज्यादा बार आधार आईडी के हैक होने की शिकायतें मिल चुकी हैं. UIDAI हर बार सॉफ्टवेयर अपडेट करने की बात कहता है, लेकिन समस्या बार-बार दोहराई जाती है.
देश की सुरक्षा पर गंभीर खतरा
जानकारों के अनुसार, इस तरह के मामलों से देश की सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा होता है. यदि कोई विदेशी नागरिक या आतंकवादी इस फर्जी तरीके से आधार बनवा लेता है, तो वह देश के किसी भी हिस्से में आसानी से छिप सकता है.