भारत में फ्री राशन योजना शुरू करने का मकसद गरीबों तक राशन पहुंचाना है. इस योजना के तहत सरकार जरूरतमंदो को फ्री राशन देती हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या ये राशन सच में गरीबों तक पहुंच रही हैं या कही और इस्तेमाल हो रहा है? जिससे देश को करीब 69,000 करोड़ का नुकसान हो रहा है? ये हम नहीं कह रहे. ये दावा किया गया है इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशंस (ICRIER) की रिपोर्ट में. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
ICRIER की इस रिपोर्ट के मुताबिक देश से हर साल करीब 69,000 करोड़ रुपए का राशन गायब हो जाता है, जिससे देश को बड़ा नुकसान होता है. यह राशन उन 81 करोड़ जरूरतमंद लोगों के लिए आता है, जो सरकारी पर मदद पर निर्भर रहते है. इस रिपोर्ट के मुताबिक करीब 2 करोड़ टन चावल और गेहूं जरूरतमंदों तक पहुंचने से पहले ही खुले बाजार में बिक जाता है या कहीं और भेज दिया जाता है.
राशन चोरी बड़ी समस्या
इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशंस (ICRIER) की रिपोर्ट में बताया गया कि राशन चोरी की समस्या अब पहले से कम हुई है, लेकिन अब भी यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. 2011-12 में 46% राशन चोरी होता था, जो अब घटकर 28% पर आ गया है. यह एक चिंता का मुद्दा है, इससे देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है.
क्यों हो रही है राशन चोरी?
रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल सिस्टम की कमी और भ्रष्टाचार चोरी के पीछे की बड़ी वजह बताई जा रही हैं. अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और गुजरात जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा गड़बड़ी हो रही है. खासकर उत्तर-पूर्वी राज्यों में जहां डिजिटल ट्रैकिंग की सुविधा नहीं है, वहां चोरी की घटनाएं ज्यादा होती हैं. कुछ राज्य जैसे बिहार, पश्चिम बंगाल ने इस मामले पर ध्यान दिया है. बिहार में राशन चोरी काफी कम हुई है, यह 68.7% से घटाकर 19.2% हो गई है. वहीं अगर पश्चिम बंगाल की बात करें तो यहां केवल 9% तक कमी हुई है. हालांकि आधार से राशन कार्ड लिंक करने और पॉइंट-ऑफ-सेल मशीनों के यूज करने से यह सुधार आया है.
क्या हो सकता है समाधान?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि फ्री राशन की जगह कैश ट्रांसफर, वाउचर या फूड स्टैंप सिस्टम अपनाने से गड़बड़ी रुकेगी. जरूरतमंदों को सीधे आर्थिक मदद मिलगा , तो योजना का सही लाभ होगा. साथ ही हर राशन दुकान में डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम अनिवार्य होना चाहिए. रिपोर्ट में बताया गया है कि सुधार के लिए कोशिशें हो रही हैं, लेकिन समस्या खत्म नहीं हुई है. सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे ताकि देश का राशन सही हाथों तक पहुंचे और गरीबों को उनका पूरा हक मिल सके.