पहचान से लेकर हथियार तक सारे सबूत साफ, पहलगाम के आतंकियों के पाकिस्तानी होने पर कोई शक नहीं

28 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के डाचीगाम-हरवां जंगल में चले बड़े ऑपरेशन ‘महादेव’ में सुरक्षा बलों ने पहलगाम हमले के तीनों आतंकियों को ढेर कर दिया. इन आतंकियों ने 22 अप्रैल 2025 को बेसरन की वादियों में 26 बेकसूर नागरिकों को गोलियों से भून दिया था. मारे गए ज्यादातर लोग हिन्दू तीर्थयात्री थे. अब जो पक्के सबूत सामने आए हैं, उनसे साफ हो गया है कि ये तीनों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे और लश्कर-ए-तैयबा के सीनियर कमांडर थे.

कौन थे ये आतंकी?

तीनों आतंकी लश्कर-ए-तैयबा के टॉप रैंक के कमांडर थे

असली नाम और कोडनेम

  1. सुलेमान शाह @ फैजल जट्ट….रैंक-A++ कमांडर… भूमिका—मास्टरमाइंड और मुख्य शूटर
  2. अबू हमजा- अफगान, रैंक- A ग्रेड, भूमिका— दूसरा शूटर
  3. यासिर- जिब्रान, रैंक A ग्रेड, भूमिका—तीसरा शूटर और पीछे की सुरक्षा

सबूत क्या-क्या मिले?

पाकिस्तानी पहचान पत्र

  1. दो वोटर आईडी कार्ड मिले एक लाहौर और एक गुजरात (पाकिस्तान) के वोटर लिस्ट से जुड़े.
  2. स्मार्ट आईडी चिप एक सैटेलाइट फोन से निकली माइक्रो-एसडी में तीनों के NADRA (पाकिस्तानी राष्ट्रीय डाटा बेस) से जुड़े बायोमेट्रिक डाटा मिले.
  3. चॉकलेट के रैपर कराची में बनी कैंडीलैंड और चोकोमैक्स के रैपर भी उसी बैग में मिले जिसमें एक्स्ट्रा गोलियां थीं. रैपर का बैच नंबर मई 2024 में मुजफ्फराबाद भेजी गई खेप का हिस्सा था.

2. फॉरेंसिक जांच

  1. बेसरन में मिले 7.62×39 mm कारतूस उन्हीं AK-103 राइफलों से मैच हुए जो ऑपरेशन में बरामद हुईं.
  2. मरे हुए आतंकियों के DNA प्रोफाइल उस खून से मिले जो 22 अप्रैल को घटनास्थल पर एक फटे हुए शर्ट पर मिला था.

3. डिजिटल सबूत

  1. आतंकियों के पास से मिला Garmin GPS डिवाइस उसी रूट को दिखाता है जिससे वे हमले वाले दिन चले थे.
  2. उनका Huawei सैटेलाइट फोन 22 अप्रैल से 25 जुलाई तक हर रात एक्टिव था, जिससे उनकी मौजूदगी हरवां जंगल के 4 km क्षेत्र में ट्रैक हुई.

कब और कैसे आए थे ये आतंकी?

  1. मई 2022 LOC पार कर गुरेज सेक्टर से घुसे..IB की रेडियो इंटरसेप्ट
  2. 21 अप्रैल 2025 बेसरन घाटी के पास छिपे दो स्थानीय लोगों ने कबूल किया कि उन्होंने इन्हें रातभर खाना दिया.
  3. 22 अप्रैल 2025 (सुबह) बैसारण पहुंचे.. GPS वेपॉइंट और गवाहों के बयान
  4. 22 अप्रैल 2025 (दोपहर 2:30) गोलीबारी कर भागे , घटनास्थल से मिले कारतूस और बाद में बरामद हथियारों का मैच

गलत पहचान कैसे हुई थी पहले?

हमले के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जिन लोगों के स्केच जारी किए थे, वो असल में पुराने केस की तस्वीरों पर आधारित थे. NIA ने जुलाई में स्पष्ट किया कि वो तस्वीरें दिसंबर 2024 के एक अलग मुठभेड़ से जुड़ी थीं.

पाकिस्तान का हाथ साफ

  1. सजिद सैफुल्लाह जट्ट, जो लश्कर का साउथ कश्मीर चीफ है, आतंकियों को पाकिस्तानी साइड से ऑपरेट कर रहा था.
  2. रिज़वान अनीस, रावलकोट (PoK) में लश्कर का बड़ा नाम, मारे गए आतंकियों के घर जाकर गायबाना नमाज़ (नमाज़-ए-जनाज़ा) करवाता दिखा गया. वीडियो अब भारत की जांच एजेंसियों के पास है.

नतीजा: सबूतों की चेन पूरी

  1. पहचान- NADRA डेटा + वोटर ID पक्की पुष्टि
  2. नागरिकता- भाषाई प्रोफाइलिंग + दस्तावेज़ पक्की पुष्टि
  3. हथियार- राइफल और कारतूस मैच पक्की पुष्टि
  4. मददगार में दो कश्मीरी गिरफ्तार,
  5. बयान और सहायक सबूत—
  6. टेक्निकल GPS + सैटफोन लॉग
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