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लोअर से हाई कोर्ट तक…जजों की कमी से जूझ रहा भारत, यूपी टॉप पर

पेंडिंग केस और त्वरित न्याय का मुद्दा देश में हर वक्त सुर्खियों में रहता है. जल्द न्याय दिलाने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें और घोषणाएं भी खूब की जाती हैं, लेकिन साल-दर-साल बीतने के बावजूद इसमें कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. केंद्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़े के मुताबिक देश में अभी भी जिला स्तर पर 5 हजार से ज्यादा जिला जजों के पद रिक्त हैं.

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स्थिति हाई कोर्ट की भी सही नहीं है. देश के सभी 25 हाई कोर्ट में जजों के 1122 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 350 से ज्यादा पद अभी भी रिक्त हैं. अकेले इलाहाबाद हाई कोर्ट में 60 से ज्यादा पद खाली है.

निचली अदालतों में जजों की भारी कमी

राज्यसभा सांसद एस निरंजन रेड्डी के एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि अभी देश के सभी निचली अदालतों में करीब 20 हजार 500 जज कार्यरत हैं. देश के सभी निचली अदालतों में जजों के 27 हजार से ज्यादा पद स्वीकृत हैं.

अगर आबादी के हिसाब से देखा जाए तो निचली अदालत में वर्तमान में हर 7.10 लाख की आबादी पर एक जज कार्यरत हैं. यूनाइटेड स्टेट सेंसस ब्यूरो के मुताबिक भारत की कुल आबादी 1 अरब 42 करोड़ से ज्यादा है. इस हिसाब से 7 लाख लोग निचली अदालत के एक जज पर निर्भर हैं.

भारत की जो ज्यूडिशरी सिस्टम है, उसके मुताबिक लोगों को पहले निचली अदालत में ही अपनी मांग को लेकर जाना होता है.

हालांकि, सरकार का कहना है कि 10 लाख लोगों पर कुल 21 जज हैं. सरकार का यह आंकड़ा हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और निचली अदालतों के सभी जजों को जोड़ कर है. वहीं सरकार आधिकारिक तौर पर 2011 के जनगणना के हिसाब से ही देश की आबादी को मान रही है.

यूपी-गुजरात और बिहार में सबसे ज्यादा पद रिक्त

यूपी की निचली अदालतों में जजों के सबसे ज्यादा 981 पद रिक्त हैं. उत्तर प्रदेश की निचली अदालतों में जजों के कुल 3698 पद स्वीकृत है, लेकिन 2717 पद ही अभी भरे गए हैं. इसी तरह गुजरात में जजों के 1720 पद स्वीकृत है, जहां 1185 जज ही अभी कार्यरत हैं.

बिहार में जजों के कुल 2019 पद स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन यहां अभी भी 483 पदों पर भर्तियां नहीं हो पाई है. मध्य प्रदेश में 331 और राजस्थान में 326 पद अभी भी रिक्त है.

3 जगहों पर पद रिक्त नहीं, तीनों केंद्र शासित

चंडीगढ़, लक्ष्यद्वीप और दमन एंड द्वीप में जजों के एक भी पद रिक्त नहीं हैं. ये तीनों ही केंद्र शासित प्रदेश हैं. भारत सरकार के मुताबिक दमन एंड द्वीप में जजों के कुल 4 पद स्वीकृत हैं और अभी चारों ही पदों पर जज कार्यरत हैं.

इसी तरह चंडीगढ़ में कुल 30 पद स्वीकृत हैं और यहां सभी पद भर लिए गए हैं. लक्ष्यद्वीप में 4 पद स्वीकृत है और यहां भी सभी पद भर लिए गए हैं. लद्दाख में 6 और दादर नागर एंड हवेली में एक पद जजों के रिक्त हैं.

हाई कोर्ट की भी स्थिति ठीक नहीं

देश के सभी 25 हाई कोर्ट में जजों के कुल 362 पद रिक्त हैं. हाई कोर्ट में 1122 पद स्वीकृत हैं. आनुपातिक देखा जाए तो देश के सभी हाई कोर्ट में 30 प्रतिशत से ज्यादा पद रिक्त हैं.

वो भी तब, जब हाई कोर्ट में 58 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग है. इनमें 62 हजार केस तो ऐसे हैं, जो पिछले 30 साल से पेंडिंग है. सरकार ने जजों के पद जल्द ही भरने की बात कही है.

नेशनल ज्यूडिशियल ग्रिड के मुताबिक देश की निचली अदालतों 4.34 करोड़ केस लंबित हैं. अकेले यूपी में सबसे ज्यादा केस उत्तर प्रदेश 1.09 करोड़ में पेंडिंग हैं.

इलाहाबाद में सबसे ज्यादा पद रिक्त

इलाहाबाद हाई कोर्ट में सबसे ज्यादा जजों के 66 पद रिक्त हैं. सरकार के मुताबिक इलाहाबाद हाई कोर्ट में जजों के कुल 160 पद है. इनमें अभी 84 पद ही भरे गए हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट में कुल 94 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 64 जज कार्यरत हैं.

इसी तरह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में 85 पद स्वीकृत किए गए हैं, जहां 34 जज ही कार्यरत हैं. त्रिपुरा और सिक्किम में ही जजों के सभी पद भर लिए गए हैं. मणिपुर और मेघालय हाई कोर्ट में एक-एक पद रिक्त है.

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