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छिंदवाड़ा में अंतिम संस्कार भी हुआ महंगा, चुकानी पड़ रही है दोगुनी रकम, जानिए पूरा मामला

छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में अब अंतिम संस्कार करना भी महंगा हो गया है. लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी नहीं मिलने के कारण बाजार से दोगुनी कीमत में खरीदनी पड़ रही है. दरअसल, पातालेश्वर मोक्षधाम में दाह संस्कार के लिए लोगों को जानकारी नहीं होने के कारण ये नुकसान उठाना पड़ रहा है. नगर निगम की ओर से सिर्फ बीपीएल कार्ड धारियों के लिए लकड़ियां निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं, लेकिन आम लोगों को इसके लिए 6 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं.

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वन विभाग 1600 रुपए में देता है लकड़ी

वन विभाग ने एक शव के अंतिम संस्कार में लगने वाली औसतन 4 से 5 क्विंटल लकड़ी का दाम 1600 रुपए रखा है, लेकिन इसकी जानकारी लोगों को नहीं होने के कारण लोगों को यह दिक्कत हो रही है. यानी फॉरेस्ट विभाग रियायती दरों में लकड़ी उपलब्ध तो करा रहा है पर यहां तक आम आदमी पहुंच नहीं पाता है. ऐसे में नगर निगम और वन विभाग के अधिकारियों के बीच समन्वय बनता है तो आम आदमी को लकड़ियों के ज्यादा दाम से राहत मिलेगी.

छिंदवाड़ा रेंजर पंकज शर्मा ने बताया कि ”लकड़ी का एक चट्टा (1 मीटर ऊंचा 1 मीटर चौड़ा और 2 मीटर लंबा) होता है, यानी तकरीबन एक घनमीटर लकड़ी उसमें होती है, जिसमें औसतन 4 से 5 क्विंटल लकड़ी निकल आती है. इसके दाम 1900 रुपए है, लेकिन मोक्षधाम दाह संस्कार के लिए 300 रुपए कम कर 1600 रुपए में यह लकड़ी मिल जाती है. खजरी वन विभाग के डिपो में यह लकड़ी मिलती है.”

अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम में लगता है चार्ज

इसके अलावा मोक्षधाम में 300 रुपए का अतिरिक्त खर्च देना होता है. लकड़ी की जगह कंडे लेने पर यह खर्च बढ़कर 6 हजार रुपए तक पहुंच जाता है. वन विभाग ने अंतिम संस्कार में लगने वाली लकड़ी के लिए दाम तो कम कर दिए हैं, लेकिन मोक्षधाम से खजरी डिपो की दूरी अधिक होने से लोग यहां तक नहीं पहुंच पाते हैं.

महापौर विक्रम आहाके ने बताया कि ”बीपीएल कार्डधारियों के अलावा अन्य ऐसे लोग जिन्हें ज्यादा दाम में बाहर से लकड़ियां लेना होता है. लोगों को परेशानी नहीं हो इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की जाएगी, ताकि कम दाम में लकड़ियां उपलब्ध हो सकें. पिछली एमआईसी की बैठक में निर्णय लिया गया था कि बीपीएल के अलावा यदि वार्ड पार्षद अपने लेटर में जरूरतमंद के लिए लिखकर देते हैं तो इन्हें भी निशुल्क लकड़ी मिल जाएगी. इसके अलावा वन विभाग के अधिकारियों से इस बारे में चर्चा की जाएगी.”

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