राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के मौके पर इसरो ने शुक्रवार को कहा कि वह 2035 तक भारत का स्पेस स्टेशन स्थापित कर देगा. अगले साल लॉन्च किए जाने वाले मानव मिशन गगनयान के लिए वह पूरी तरह से तैयार है. साथ ही चंद्रमा से मिट्टी समेत अन्य तत्व अपने साथ लेकर आने वाले चंद्रयान-4 मिशन की दिशा में तेजी से काम चल रहा है, जिसे 2027 में चंदा मामा के पास भेजा जाएगा. चंद्रयान-3 की पिछले साल 23 अगस्त को चांद के सतह पर सफल लैंडिंग के बाद सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय लिया था.
पिछले साल भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था. पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के मौके पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रमा से जुड़े भारत के मिशन के अनुभव बेहतरीन है. हम चंद्रयान-4 मिशन में चंद्रमा की मिट्टी पृथ्वी पर लेकर आएंगे. चंद्रयान-4 और 5 मिशन के डिजाइन पूरे हो गए हैं. चंद्रयान-3 मिशन ने भारत की लूनर एक्सप्लोरेशन की क्षमता को आगे बढ़ाया है और अगले दो मिशन इस क्षमता को और बढ़ाएंगे.
2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य
इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा कि 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने के मिशन को अंजाम दिया जाएगा. इस अंतरिक्ष स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे और पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाएगा. इसके डिजाइन समेत अन्य काम पूरे हो चुके हैं. सरकार को रिपोर्ट भेज दी गई है और मंजूरी मिलने के बाद कदम आगे बढ़ाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों का यह स्पेस स्टेशन एक सुरक्षित ठिकाना होगा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से अंतरिक्ष में बेकार हो चुकी सैटेलाइट समेत अन्य कचरे को लेकर सोमनाथ ने कहा कि भारत ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है. हमने डेबरीज फ्री स्पेस मिशन पर कदम बढ़ा दिए हैं. विभिन्न देशों के बीच इस पर चर्चा हो रही है. 2030 तक भारत की योजना यह है कि हरेक लॉन्च सैटेलाइट को ऐसा डिजाइन किया जाए कि वह अंतरिक्ष में कचरा ना बने, बल्कि वापस आए. इसी तरह के प्रयास अन्य देश भी कर रहे हैं. ट्रैकिंग के लिए बेंगलुरू में व्यवस्थाएं शुरू की जा चुकी हैं.
गगनयान मिशन को लेकर सब कुछ सेट
गगनयान मिशन को लेकर उन्होंने कहा कि सबकुछ सेट है. हम तैयार है, सरकार के पास मंजूरी देने के लिए रिपोर्ट भेजी गई है. अगले साल 2025 में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों का दल पृथ्वी की कक्षा में 400 किलोमीटर ऊपर भेजा जाएगा. इस मिशन का पहला अनमैन्ड लॉन्च श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इस साल दिसंबर में होगा.
इसरो की योजना 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का है. इस पर काम चल रहा है. याद रहे कि अभी अमेरिका ही ऐसा देश है जो चांद पर इंसानों को भेज चुका है. पड़ोसी देश चीन भी 2030 तक अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजने की दिशा में काम कर रहा है.
बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी. इस उपलब्धि के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने की घोषणा की थी. इस दिवस की थीम है टचिंग लाइव्स व्हाइल टचिंग द मून-इंडियाज स्पेस सागा. दिल्ली के भारत मंडपम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पहले अंतरिक्ष दिवस की शुरुआत की.
चंद्रयान-3 की उपलब्धियां-
- रूस, अमेरिका, चीन, भारत और जापान ही ऐसे देश हैं जिन्होंने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैडिंग की है.
- इसरो ने 29 अगस्त 2023 को बताया था कि रोवर पर लगे लिब्स पेलोड ने साउथ पोल पर सल्फर का पता लगाया.
- इसके अलावा एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता चला था.
- पिछले साल 31 अगस्त को इसरो ने बताया था लैंडर पर लगे लैंगम्यूर प्रोब (RAMBHA-LP) पेलोड ने साउथ पोल रीजन में लूनर प्लाज्मा वातावरण का पहला माप लिया था. इसमें पता चला कि चंद्रमा की सतह के पास प्लाज्मा कम घना है.
- इसरो ने 3 सितंबर को विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर दोबारा लैंडिंग कराई थी. इसरो ने बताया कि लैंडर को 40 सेमी ऊपर उठाया गया और 30 से 40 सेमी की दूरी पर सुरक्षित लैंड करा दिया. इसे हॉप एक्सपेरिमेंट यानी जंप टेस्ट कहा जाता है.