Left Banner
Right Banner

गैंगस्टर और स्कैमर्स करते हैं इस ऐप को सबसे ज्यादा पसंद, पुलिस भी नहीं कर पाती ट्रैक!

क्या आप जानते हैं कि आखिर वो कौन सा मोबाइल ऐप है जिसका इस्तेमाल गैंगस्टर और शातिर अपराधी करते हैं? बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्हें इस सवाल का जवाब नहीं पता, दरअसल पिछले कुछ सालों में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए अलग-अलग गैंगस्टरों से पुलिस को उस मोबाइल ऐप के बारे में पता चला है जिस ऐप का इस्तेमाल गैंगस्टर अक्सर बातचीत के लिए करते हैं.

दिल्ली-एनसीआर और अन्य जगहों पर सक्रिय लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप और अन्य गैंगस्टर और उनके गुर्गे आपस में बातचीत करने के लिए अर्मेनियाई एप्लिकेशन Zangi का इस्तेमाल करते पाए गए. कुछ महीनों पहले, दिल्ली पुलिस ने गैंगस्टर हिमांशु भाऊ के दो शूटरों को गिरफ्तार किया था और पुलिस को जांच के दौरान पता चला था कि वह Zangi ऐप पर बातचीत कर रहे थे.

क्यों गैंगस्टरों को पसंद है Zangi?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस का कहना है कि ऐप के अनट्रेसेबल नेटवर्क की वजह से गैंगस्टर को ट्रैक करना और उनके ठिकानों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. ये ऐप गैंगस्टरों को इस वजह से पसंद आता है क्योंकि ये ऐप बिना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी लिए ऐप इस्तेमाल करने देता है.

ऐप इस्तेमाल करने के लिए ये ऐप यूजर्स को खुद का 10 अंकों का एक नंबर देता है जिससे अपराधी अपने मोबाइल नंबर बताए बिना अपने साथियों से बातचीत कर पाते हैं. इस ऐप में यूजर की स्क्रीन पर केवल जेनरेट किया गया नंबर ही दिखाई देता है.

कंपनी की साइट पर जानकारी के मुताबिक, ऐप इस्तेमाल करने के लिए यूजर का नंबर इसलिए नहीं लिया जाता ताकि कोई भी यूजर की निगरानी न कर पाए और यूजर्स को अकाउंट हैकिंग से पूरी तरह से सुरक्षा मिले.

कैसे काम करता है Zangi?

साइबर सेल के अधिकारी ने बताया कि इस मोबाइल ऐप में जैसे ही एक मैसेज सेंड किया जाता है कि वो मैसेज ऐप के सर्वर के जरिए टारगेट तक पहुंचता है. मैसेज डिलीवर होते ही आपका सीक्रेट मैसेज ऐप के सर्वर से खुद-ब-खुद डिलीट हो जाता है, यही वजह है कि मैसेज को ट्रैक नहीं किया जा सकता. इस एन्क्रिप्शन की वजह से ही केवल मैसेज भेजने और रिसीव करने वाले मैसेज, ऑडियो और वीडियो कॉल्स को एक्सेस कर सकते हैं.

स्कैमर्स भी करते हैं इस्तेमाल

गैंगस्टरों के अलावा ऑनलाइन स्कैमर्स भी इस ऐप का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं. पिछले साल सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने Zangi समेत 14 मोबाइल मैसेजिंग ऐप्लीकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था जिनका इस्तेमाल कथित तौर पर आतंकी समूहों द्वारा बातचीत के लिए किया जा रहा था.

Advertisements
Advertisement