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गौरेला पेंड्रा मरवाही : जिले में धान की बंपर आवक, उठाव में सुस्ती, खरीदी केंद्रों में बफर लिमिट से बिगड़ी व्यवस्था…

गौरेला पेंड्रा मरवाही : जिले में 14 नवंबर से शुरू होने वाली धान की खरीदी में अब तक किसान 3 लाख 26 हजार 102 क्विंटल धान बेच चुके हैं। जिले के खरीदी केंद्रों में बंपर धान की आवक हो रही लेकिन धान का उठाव न होने से परेशानी बढ़ते जा रहा है । राइस मिलर्स से शासन का अनुबंध नहीं होने के कारण जीपीएम जिले के धान खरीदी केन्द्रों में 3 लाख क्विंटल से ज्यादा धान जाम हो गया है। शासन द्वारा निर्धारित बफर लिमिट से ज्यादा मात्रा में हुआ धान का स्टॉक समितियों में हो गया है। जिले में 20 धान खरीदी केंद्र बनाए गए है जिनमे से कोडगार बस्ती जोगिसार बंसिताल को छोड़ कर सभी 16 धान खरीदी केंद्र बफर लिमिट से अधिक धान जाम है वही प्रतिदिन जगह की कमी होने से धान बेचने आने वाले किसानों को खरीदी केन्द्रों में काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वही किसान के साथ ही समिति प्रबंधक भी परेशान हो रहे हैं।

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जानकारी के अनुसार जीपीएम जिले के 20 धान खरीदी केन्द्रों में अब तक तक 3 लाख 26 हजार 102 क्विंटल धान की खरीदी की जा चुकी है इतने बड़े पैमाने पर खरीदी के साथ ही किसानों और खरीदी केंद्र प्रभारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती धान उठाव की है। क्योंकि इस वर्ष राइस मिलर्स से शासन का अनुबंध नहीं हो पाने के कारण किसी भी समिति से धान का उठाव नहीं हो पाया है। अधिकांश उपार्जन केन्द्रों में शासन प्रशासन द्वारा निर्धारित बफर लिमिट से ज्यादा मात्रा में धान का स्टॉक हो गया है, जो कि धान विक्रय करने आने वाले किसानों के लिए भी समस्या का कारण बन गया है, क्योंकि किसानों को खरीदी केन्द्रों में ट्रैक्टर ट्राली लगाने में भी भारी दिक्कत होने लगी है।

 

धान खरीदी केन्द्रों में धान के बोरियों की छलनिया लगी हुई हैं। धान की छलनी सभी समितियों में पहाड़ जैसे ऊंचे होते जा रहे हैं। समिति के हमालों को भी बोरियों को ऊंचाई पर उठाकर रखने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी विनय साहू ने बताया कि धान उठाव नहीं होने के कारण खरीदी केंद्रों में जाम की स्थिति निर्मित होने से किसानों को अपने धान को फड़ में तौलाई कराने में परेशानी हो रही है। समिति प्रबंधकों को धान की सुरक्षा को लेकर चिंता है। इतनी बड़ी मात्रा में धान एकत्रित हो गया है कि मौसम बदलने पर सभी धान की सुरक्षा करना बहुत ही चुनौती पूर्ण हो गया है।

 

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