दूरदर्शन के लोकप्रिय धारावाहिक महाभारत में दुर्योधन का किरदार निभाने वाले एक्टर पुनीत इस्सर सोमवार को गया जी पहुंचे. यहां उन्होंने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया. जानकारी के अनुसार पुनीत इस्सर अपनी पत्नी दीपाली के साथ गया जी पहुंचे थे. यहां उन्होंने अपने पाकिस्तानी पूर्वजों का पिंडदान करते हुए उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना की.
उन्होंने फल्गु नदी तट पर विधिवत श्राद्ध-कर्म सम्पन्न किया. विष्णुपद मंदिर भी पहुंचे और वहां भी कर्मकांड किया. इस मौके पर उनके परिवार के कई अन्य सदस्य भी मौजूद रहे. पिंडदान के उपरांत अभिनेता पुनीत इस्सर ने पितृपक्ष मेले में की गई व्यवस्था की सराहना की.
पुनीत ने कहा- गया जी विश्वभर में पिंडदान के लिए विख्यात है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सरकार और प्रशासन ने बेहतर इंतजाम किए हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि गया जी आकर उन्हें आध्यात्मिक संतोष और शांति की अनुभूति हुई. पूजा पाठ के बाद पुनीत इस्सर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि गया जी आकर के मन प्रसन्न हो गया.
उन्होंने बिहार में हुए विकास कार्यों को लेकर के भी अपनी राय रखी. उनका कहना था कि बिहार अब पहले जैसा नहीं रहा है. यह बदलता हुआ राज्य बन चुका है. विकास के कई कार्य यहां पर किए गए हैं. इस मौके पर उन्होंने जिला प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार के द्वारा उपलब्ध कराई गई व्यवस्थाओं की भी भरपूर सराहना की. उन्होंने गया जी में उपस्थित उपलब्ध कराई गई व्यवस्थाओं की जमकर सराहना की.
पुनीत ने कहा- बिहार को देख मैं निःशब्द रह गया. बिहार के बारे में जो भी सुना था, उससे विपरीत पाया. इतनी बढ़िया व्यवस्था. आप रास्ते कहिए या अन्य सुविधाएं, बिहार पहले जैसा बिहार नहीं है. मैं हवाई अड्डे से यहां मेला क्षेत्र आया. सभी जगह व्यवस्थाएं अच्छी नजर आई.
इन नामी हस्तियों ने भी किया पिंडदान
हर साल पितृपक्ष में देश के कई जाने माने हस्तियां गयाजी पहुंचकर पिंडदान करती हें. पिछले कुछ सालों की बात करें तो पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, संजय दत्त, बिहार के पूर्व राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर सहित कई मंत्री, सांसद, विधायक पहुंचे हैं. हर साल पितृपक्ष में बड़ी संख्या में श्रद्धालु सनातन धर्म की परंपराओं के अनुसार अपने पितरों के मोक्ष और शांति के लिए पिंडदान करने के लिए गयाजी आते हैं. यहां विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी, अक्षयवट एवं अन्य कई पवित्र स्थानों पर स्थित वेदियों पर श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है.