विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि जीत का दावा करना उनकी पुरानी आदत है. उन्होंने 1971, 1975 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी यही राग गाया. पाकिस्तान का ये पुराना रवैय्या है. परास्त हो जाओ लेकिन ढोल बजाओ. दरअसल, जायसवाल ने एक सवाल के जवाब में ये बात कही.
विदेश मंत्रालय की पीसी में जब जायसवाल से ये पूछा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति समझौते के लिए किसने प्रयास किया था? इसके जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से हुई तबाही के बाद पाकिस्तान हमारे पास बातचीत के लिए पहुंचा था. 10 मई को पाकिस्तान के DGMO ने हमारे DGMO से समय मांगा और फिर सीजफायर पर बातचीत हुई.
विदेश मंत्रालय ने सीजफायर के मुद्दे पर कहा कि पाकिस्तान की पहल पर DGMO की बातचीत हुई. इसके बाद सीजफायर की घोषणा की गई. सीजफायर वार्ता में ट्रेड का कोई जिक्र नहीं था. उन्होंने ये भी कहा है कि कश्मीर पर दूसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है. जम्मू कश्मीर सिर्फ भारत पाकिस्तान का मुद्दा है. इस पर तीसरा पक्ष दखल न दे.
भारत-पाक में द्विपक्षीय तरीके से सभी मामले हल होंगे
जायसवाल ने कहा कि कश्मीर पर भारत की नीति अडिग है. जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. भारत पाक के बीच द्विपक्षीय तरीके से सभी मामले हल होंगे. पाकिस्तान की गोली का जवाब गोली से देंगे. पाकिस्तान हमले रोकेगा तो भारत भी रोकेगा. पाक जितनी जल्दी समझे उसकी उसी में भलाई है. सिंधु जल समझौता अभी स्थगित रहेगा. पाकिस्तान को अभी पानी नहीं देंगे.