गाजियाबाद के थाना नंदग्राम क्षेत्र अंतर्गत सिहानी चुंगी चौकी के पास एनएच-58 पर स्थित ‘दिल्ली जूस कॉर्नर’ पर शनिवार को उस वक्त हड़कंप मच गया जब स्थानीय लोगों ने जूस में थूक मिलाकर परोसने का आरोप लगाया. यह दुकान कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित है, जहां श्रावण मास में लाखों श्रद्धालु गुजरते हैं, जिससे मामला बेहद संवेदनशील बन गया है. फिलहाल दो आरोपियों को हिरासत में लिया गया है.
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि जूस में थूक और पेशाब जैसी आपत्तिजनक चीजें मिलाई जा रही थीं. चेक करने पर दुकान में एक संदिग्ध पीले रंग की बोतल मिलने का भी दावा किया गया. घटना की जानकारी मिलते ही हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए और दुकान के नाम व संचालन पर सवाल खड़े किए. आरोप लगाया गया कि ‘दिल्ली जूस कॉर्नर’ नाम जानबूझकर भ्रम पैदा करने और हिंदू श्रद्धालुओं को लक्षित करने के लिए रखा गया है. साथ ही यह भी आरोप लगा कि दुकान का संचालन मुस्लिम समुदाय के लोग कर रहे हैं.
जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई
सूचना पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लेते हुए दुकान पर काम कर रहे दो मुस्लिम युवकों को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू की. मामले को गंभीरता से लेते हुए फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की टीम भी मौके पर पहुंची. खाद्य सुरक्षा अधिकारी भावना अगरिया की अगुवाई में टीम ने दुकान से जूस और अन्य संदिग्ध सामग्री के सैंपल लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिए हैं. भावना अगरिया ने कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
घटनास्थल पर मौजूद एसीपी नंदग्राम पूनम मिश्रा ने बताया कि प्रारंभिक जांच में जूस की गुणवत्ता और सामग्री को लेकर गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं. पुलिस ने आमजन से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की अफवाह फैलाने या साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
पहले भी आ चुका है ऐसा मामला
इससे एक दिन पहले विजयनगर थाना क्षेत्र के सिद्धार्थ विहार इलाके में भी ‘भारत जूस’ नाम की दुकान पर जूस में थूक मिलाने का आरोप लगा था. उस मामले में भी संचालक मुस्लिम समुदाय से था और उसने हिंदू प्रतीक पहनकर ग्राहकों को भ्रमित किया था. इस घटना के बाद लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने गाजियाबाद डीसीपी कार्यालय जाकर मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की थी.
कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी आवाजाही को देखते हुए इस तरह की घटनाएं न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि क्षेत्र में साम्प्रदायिक तनाव को भी जन्म दे सकती हैं.