छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड ने नाइट शिफ्ट में ड्यूटी नहीं लगाने पर डिस्ट्रिक्ट मैनेजर को किडनैप कर बेहोश होते तक पीटा है। बताया जा रहा है कि एम्बुलेंस से अपहरण कर ले गए थे। एक कमरे में बंदकर बेदम पिटाई की। पिटाई से मैनेजर का सिर फूट गया है।
मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है। डिस्ट्रिक्ट मैनेजर का नाम प्रिंस पांडेय है। वहीं किडनैपर का नाम मोतीपाल यादव और किरण चौहान है। किरण चौहान 108 संजीवनी एक्सप्रेस में EMT (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) है, जबकि मोतीपाल यादव एम्बुलेंस ड्राइवर है।
अब जानिए क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, किरण चौहान और मोतीपाल यादव रिलेशनशिप में थे। दोनों सेम टाइम में शिफ्ट चाहते थे। ऐसे में किरण चौहान ने अपने मैनेजर से मोतीपाल यादव के साथ रात में ड्यूटी लगाने की मांग की, लेकिन मैनेजर प्रिंस पांडेय ने नाइट शिफ्ट लगाने से इनकार कर दिया।
मैनेजर ने अपने हेड ऑफिस को भी जानकारी दी थी, जिसके बाद किरण और मोतीपाल को होल्ड (नौकरी में आने से रोक) कर दिया गया था। इससे किरण नाराज हो गई थी। किरण ने मैनेजर को सबक सिखाने के लिए साजिश रची।
11 फरवरी को किरण और मोतीपाल ने मैनेजर को बात करने के लिए ऑफिस बुलाया। बातचीत के दौरान मैनेजर से कहासुनी हो गई। इसके बाद दोनों ने ऑफिस के एक कमरे में मैनेजर को जमकर पीटा, जिससे मैनेजर बेहोश हो गया। बेहोशी की हालत में उसे ऑफिस से किडनैप कर अपने घर ले गए। वहां भी पिटाई की।
जानिए किडनैपर तक कैसे पहुंची पुलिस ?
इस बीच मैनेजर ने 12 फरवरी को मौका देखते ही अपने ओडिशा के दोस्त तारिणी ब्रह्म को मोबाइल से लोकेशन भेजा। तारिणी ने कोरबा सिविल लाइन थाने में मिसिंग रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस को बताया कि उसका दोस्त पिछले 11 फरवरी से गायब है।
इसके बाद पुलिस ने दोस्त के बताए मोबाइल लोकेशन पर 12 फरवरी को रात में दबिश दी। इस दौरान कमरे में मैनेजर प्रिंस के साथ एम्बुलेंस ड्राइवर मोतीपाल यादव और EMT किरण चौहान मिले। पुलिस ने मैनेजर प्रिंस को दोनों के चंगुल से छुड़ाया।
अपहरण और हत्या की कोशिश का केस दर्ज
मामले में सिविल लाइन थाना प्रभारी प्रमोद डडसेना ने बताया कि मारपीट से डिस्ट्रिक्ट मैनेजर के शरीर पर कई जगह चोट के निशान पाए गए हैं। दोनों के खिलाफ अपहरण और हत्या का प्रयास करने का मामला दर्ज किया गया है। कोर्ट में पेश करने के बाद दोनों को जेल भेज दिया गया है।
इस दौरान दोनों आरोपियों को हिरासत में लेकर सिविल लाइन थाने ले आई, लेकिन पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया था। इससे मौका पाकर दोनों लोग फरार हो गए थे। 8 दिन बाद पुलिस ने दोनों को 20 फरवरी को जिला अस्पताल से पकड़ा है।