लड़कियों को मिलता था नेता और बिजनेसमैन को फंसाने का ठेका! पैसों के लिए लगाती थीं रेप के आरोप, 10 तक बनाए कई शिकार; ऐसे खुली पोल

उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस ने उन चेहरों से पर्दा उठाना शुरू कर दिया है, जो कथित तौर पर झूठे दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मुकदमे दर्ज कराकर रंगदारी वसूलने के खेल में शामिल होते हैं. पुलिस ने झूठे आरोप लगाकर लोगों को फंसाने वाली लड़कियों के मास्टरमाइंड वकील अखिलेश दुबे को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. अब उसका करीबी और सहयोगी अधिवक्ता शैलेंद्र यादव उर्फ टोनू पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है.

रविवार को गिरफ्तार किए गए टोनू ने पुलिस पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए. उसने बताया कि भाजपा नेता रवि सतीजा को झूठे दुष्कर्म केस में फंसाने की साजिश में उसका हाथ था. पूछताछ में पता चला कि वह लड़कियों को लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसाने के लिए 5 से 50 हजार तक रुपए दिए जाते थे. 6 अगस्त को भाजपा नेता रवि सतीजा ने चकेरी थाने में तहरीर देकर अखिलेश दुबे, उसके सहयोगी लवी मिश्रा, अभिषेक बाजपेई, शैलेंद्र यादव उर्फ टोनू और विमल यादव समेत अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाए थे.

50 लाख की रंगदारी मांगने की कोशिश

रवि सतीजा ने कहा था कि आरोपियों ने गैंगरेप का झूठा केस दर्ज कराकर उनसे 50 लाख रुपये रंगदारी मांगने की कोशिश की. शिकायत के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और कार्रवाई शुरू की. इस मामले में पहले ही अधिवक्ता अखिलेश दुबे और लवी मिश्रा को जेल भेजा जा चुका था, जबकि बाकी आरोपी फरार थे. अब शैलेंद्र यादव की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को पूरे रैकेट की कड़ियां जोड़ने में मदद मिल रही है.

ऐसे लड़कियों को झूठे केस के लिए मनाते

इससे पहले सांसद अशोक रावत ने कानपुर के पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर कहा था कि शहर में ऐसे गिरोह काम कर रहे है जो झूठे मुकदमों में निर्दोष लोगों को फंसाकर उनसे वसूली करते हैं. इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने ऐसे मामलों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था. पुलिस जांच में सामने आया कि टोनू सोशल मीडिया पर एक्टिव रहकर लड़कियों और महिलाओं से कॉन्टेक्ट कर उन्हें लालच देता था. वह लड़कियों को झूठे मुकदमों में गवाही देने या शिकायत दर्ज कराने के लिए तैयार करता था. रवि सतीजा मामले में भी उसने अभिषेक बाजपेई के साथ मिलकर एक लड़की को इस काम के लिए तैयार किया.

पुलिस ने उस महिला तक भी पहुंच बना ली है, जिसने अपनी नाबालिग बहन के साथ सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाकर केस दर्ज कराया था. जांच अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती पूछताछ से सामने आ रहा है कि महिला भी इस सिंडिकेट के जाल में थी. अब संभावना जताई जा रही है कि इस गिरोह से जुड़े और नाम जल्द ही सामने आएंगे. शैलेंद्र यादव मूलरूप से शिवराजपुर के सखरेज गांव का रहने वाला है और वर्तमान में बर्रा के सचान चौराहा स्थित सोना मेंशन में रह रहा था.

यहां से शुरू हुआ था पूरा मामला

पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि साल 2012 में उसके मामा जयहिंद यादव की हत्या हुई थी. उस मामले में दिनेश सिंह नाम के व्यक्ति पर आरोप लगा था, लेकिन सबूतों के कमी में अदालत ने उसे बरी कर दिया था. 2013 में वह अपने मामा के केस की पैरवी के लिए वकील अखिलेश दुबे के संपर्क में आया. यहीं से उसकी नजदीकी बढ़ी और फिर वह अखिलेश का भरोसेमंद सहयोगी बन गया.

आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस

पुलिस ने बताया कि शैलेंद्र से पूछताछ में कई जानकारियां सामने आई हैं. शुरुआती जांच में यह साफ हुआ है कि यह सिंडिकेट प्लानिंग के साथ नेताओं, व्यवसायियों और पावरफुल लोगों को झूठे मामलों में फंसाकर वसूली करता था. पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने की तैयारी में है. गिरफ्तार टोनू के बयान और अन्य आरोपियों के मोबाइल डेटा की जांच की जा रही है. पुलिस टीम ने कई संभावित ठिकानों पर दबिश भी दी है. शैलेन्द्र यादव की निशानदेही पर अन्य आरोपियों की तलाश पुलिस कर रही है. जांच अधिकारी मानते हैं कि आने वाले दिनों में कई और नाम और नए मुकदमों की परतें खुल सकती हैं. यह साफ हो गया है कि झूठे मुकदमे दर्ज कर रंगदारी वसूलने का यह खेल लंबे समय से चल रहा था और कई लोग इसमें शामिल थे.

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