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मोहन यादव को नया आयडिया दें और लाखों रुपए लें, आया धांसू सीड कैपिटल फंड स्टार्टअप स्कीम

भोपाल। नौकरी का रास्ता न अपनाकर अपना स्टार्टअप शुरू करने वाले युवाओं की राह आसान करने के लिए मध्यप्रदेश की मोहन सरकार एक नई स्कीम लाने की तैयारी कर रही है. इस नई स्कीम के जरिए नए स्टार्टअप को राज्य सरकार आर्थिक मदद उपलब्ध कराएगी. इसके लिए प्रदेश सरकार जल्द ही सीड कैपिटल फंड स्कीम शुरू करने की तैयारी कर रही है. इस स्कीम से उन युवाओं को फायदा मिलेगा जिनके पास स्टार्टअप के लिए बेहतर आइडिया तो है, लेकिन उसे शुरू करने के लिए फंड नहीं है. सरकार के इस नए कदम से प्रदेश में स्टार्टअप को वित्तीय मदद उपलब्ध कराई जाएगी.

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कॉन्क्लेव में आया सुझाव, विभाग ने तैयार किया प्रस्ताव

पिछले दिनों जबलपुर में हुई इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में इसको लेकर सुझाव आया था. इसके बाद मंत्री ने विभाग को इस संबंध में निर्देश दिए थे. एमएसएमई विभाग ने इस नई स्कीम को लेकर प्रस्ताव तैयार कर लिया है. जल्द ही इसका प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जाएगा. देखा जाए तो अभी स्टार्टअप को सेवी से पंजीकृत अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड या फिर आरबीआई से पंजीकृत बैंक से कुल निवेश की राशि का 15 फीसदी या फिर अधिकतम 15 लाख तक की सहायता उपलब्ध कराई जाती है. यह सिर्फ एक बार ही उपलब्ध कराई जाती है लेकिन यह नाकाफी साबित होती है.

स्कीम को शुरू करने का कारण

शुरूआती दौर में उद्यमियों को किसी भी तरह की आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं होती है. बैंक द्वारा उन उद्यमियों को फंड उपलब्ध कराया जाता है, जिनके पास लोन से अधिक कीमत की संपत्ति मॉडर्गेज रखने के लिए हो. ऐसे में अच्छे बिजनेस आइडिया होने के बाद भी उस पर कई युवा आगे काम नहीं कर पाते. सरकार की कोशिश है कि ऐसे युवाओं को सीड कैपिटल फंड स्कीम के जरिए आर्थिक मदद उपलब्ध कराई जाए. इसकी मदद से किसी उत्पाद का प्रोटोटाइप तैयार करने, उत्पाद या सर्विस का परीक्षण कराने, उद्यम की शुरूआत करने में मदद मिल सके. स्टार्टअप की जमीन तैयार होने के बाद वित्तीय संस्थाओं से फंड भी मिलना आसान हो जाता है.

अभी यह मिल रही मदद

प्रदेश सरकार हर साल अपनी नई स्टार्टअप पॉलिसी जारी करती है. प्रदेश सरकार द्वारा अभी स्टार्टअप को 3 साल तक के लिए 50 फीसदी लीज रेंट के रूप में अधिकतम 5 हजार रुपये प्रतिमाह की राशि मिलती है. प्रोडक्ड का पेटेंट कराने के लिए आर्थिक मदद, स्टार्टअप के देश के अंदर कार्यक्रम में प्रजेंटेशन के लिए 50 हजार रुपए तक के खर्च पर 75 फीसदी की राशि और देश के बाहर प्रति आयोजन डेढ़ लाख तक खर्च की प्रतिपूर्ति की जाती है.

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