नई दिल्ली- दुनिया भर में शांति की स्थिति को लेकर जारी हुई ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025 रिपोर्ट ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। इस साल की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक शांति में लगातार 13वें वर्ष गिरावट दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट को इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) द्वारा प्रकाशित किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में औसतन शांति स्तर में 0.36 प्रतिशत की गिरावट आई है। 163 देशों में से 87 देशों में हालात और अधिक खराब हुए हैं, जबकि सिर्फ 74 देशों में सुधार देखा गया है। यह गिरावट वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और संघर्षों के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है।भारत इस साल 115वें स्थान पर रहा है। यह रैंकिंग भारत को “मध्यम स्तर की अशांति” वाले देशों की श्रेणी में रखती है। भारत की स्थिति पाकिस्तान (144वां) और अमेरिका (128वां) से बेहतर मानी जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आंतरिक संघर्ष, सीमाई तनाव और सामाजिक विवाद शांति को प्रभावित कर रहे हैं।
ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025 के मुताबिक, दुनिया के सबसे शांत देशों में शामिल हैं:
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आइसलैंड (Iceland)
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आयरलैंड (Ireland)
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न्यूजीलैंड (New Zealand)
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ऑस्ट्रिया (Austria)
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स्विट्जरलैंड (Switzerland)
वहीं, सबसे असुरक्षित और अशांत देशों की सूची में शामिल हैं:
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अफगानिस्तान
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यमन
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सीरिया
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साउथ सूडान
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इराक
एक चौंकाने वाला आंकड़ा ये भी है कि इज़राइल 155वें स्थान पर है — यानी उसे साउथ सूडान और सीरिया जैसे देशों के आसपास रखा गया है।रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया में शांति को सबसे अधिक प्रभावित किया है। दोनों देश इस रिपोर्ट में निचले पायदानों पर हैं। यूक्रेन में जारी जंग और रूस की सैन्य गतिविधियों के कारण यूरोप का शांति स्तर भी गिरा है।रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा के चलते दुनिया की कुल जीडीपी का 11.5% प्रभावित हो रहा है। वर्ष 2023 में ही हिंसा और अशांति की वैश्विक लागत लगभग 19 ट्रिलियन डॉलर आंकी गई है।ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025 यह साफ संकेत देता है कि वैश्विक स्तर पर शांति कायम रखने के प्रयासों में गिरावट आ रही है। भारत की स्थिति बेहतर होने के बावजूद चिंताजनक बनी हुई है। अगर यही रुझान जारी रहा तो आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है।