राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि नेहरू-गांधी परिवार का महिमामंडन करने वाली किताबें 12वीं कक्षा में नहीं पढ़ाई जाएंगी क्योंकि विद्यार्थियों को इन पुस्तकों से परीक्षा में अंक भी नहीं मिलते हैं. कांग्रेस की राज्य इकाने ने मंत्री के इस बयान को लेकर हमला बोला और इसे हास्यास्पद करार दिया.
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आजादी के बाद सबसे ज्यादा समय तक सरकार कांग्रेस की रही और इस देश को ऐतिहासिक ऊंचाइयों तक ले जाने का श्रेय कांग्रेस सरकारों और प्रधानमंत्रियों को ही मिलेगा.
शिक्षा विभाग इन किताबों को नहीं पढ़ाएगा
मंत्री दिलावर ने कहा कि आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत भाग-1 और भाग-2 पुस्तकों से छात्रों को कोई अंक नहीं मिलते इसलिए उन्होंने विभाग के अधिकारियों को इन पुस्तकों को पढ़ाना बंद करने का निर्देश दिया है. दिलावर ने कहा कि कांग्रेस की पिछली सरकार द्वारा लगाई गयी इन किताबों से छात्रों को परीक्षा में कोई अंक नहीं मिलते. ये केवल पढ़ने के लिए थीं. बिना किसी शैक्षणिक महत्व के इन्हें जारी रखने का कोई मतलब नहीं है, इसलिए मैंने निर्देश दिया है कि शिक्षा विभाग ऐसी किताबें नहीं पढ़ाएगा.
उन्होंने विद्यार्थियों को सकारात्मक बातें पढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि देश और राज्य की सेवा करने वालों के योगदान का भी समान रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए लेकिन इन किताबों में केवल उन कांग्रेस नेताओं का महिमामंडन किया गया है, जिन्होंने देश में आपातकाल लगाया और लोकतंत्र की हत्या की.
गांधी परिवार को किया गया महिमामंडित
शिक्षा मंत्री ने गुरुवार को कहा था कि इन किताब में सरदार वल्लभभाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ. बीआर आंबेडकर और जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे महान नेताओं का नाम नहीं है. इन पुस्तकों में केवल और केवल गांधी परिवार को महिमामंडित किया गया है, जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए, अपनी पदलोलुप्ता और सत्ता लोलुपता के लिए देश में आपातकाल लगाया. लोकतंत्र की हत्या की और संविधान को निलंबित कर दिया.
उन्होंने कहा कि ये किताब स्वतंत्रता आंदोलन, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और अन्य लोगों की भूमिका के बारे में है. दिलावर ने कहा कि ये पुस्तकें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के योगदान पर भी केंद्रित है. इसमें मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के शिक्षा का अधिकार और सूचना का अधिकार जैसे विभिन्न कार्यक्रमों और उपलब्धियों का उल्लेख है.
मंत्री ने कहा कि केवल कुछ नेताओं के बारे में विस्तार से बात करना महिमामंडन है और उन्होंने जोर देकर कहा कि पुस्तक में अन्य नेताओं के योगदान का भी विवरण होना चाहिए. उन्होंने कहा चूंकि किताब को आखिरी बार 2019 में लागू किया गया था इसलिए इसमें स्वच्छ भारत अभियान और जीएसटी (माल एवं सेवा कर) कार्यान्वयन का भी उल्लेख है.
कांग्रेस ने की शिक्षा मंत्री की आलोचना
शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा को सकारात्मक सामग्री पर केंद्रित होना चाहिए और शिक्षा विभाग पक्षपातपूर्ण सामग्री को बढ़ावा नहीं देगा. कांग्रेस ने इस फैसले पर मंत्री की आलोचना की. पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने शुक्रवार को एक्स पर लिखा, राजस्थान सरकार द्वारा आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत किताबों के पढ़ाने पर रोक लगाने का फैसला हास्यास्पद है.
क्या तथ्यों को भी बदल देगी बीजेपी?
गहलोत के अनुसार, कांग्रेस के शासन में वैज्ञानिकों ने चंद्रयान तक बनाया और इंजीनियरों ने बड़े-बड़े कारखाने, बांध, संस्थान बनाए. हमारे महान नेताओं इन्दिरा गांधी एवं राजीव गांधी ने इस देश के लिए अपनी जान तक दे दी. क्या बीजेपी सरकार इन तथ्यों को भी बदल सकती है? उन्होंने कहा कि 2.50 करोड़ रुपए की किताबों को व्यर्थ करने से अच्छा है कि अगर वे राजग (एनडीए) शासन के बारे में पढ़ाना चाहते हैं तो विद्यालयों में उनका योगदान बताते हुए पुस्तकों में अतिरिक्त पृष्ठ छपवाकर भेज दें लेकिन किताबों को रद्दी बनाकर जनता के पैसे को खराब करना कैसे उचित ठहराया जा सकता है?
भारत के निर्माण में महानायकों का योगदान
कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सशक्त भारत के निर्माण में महानायकों का योगदान बताने वाली 12वीं कक्षा की किताबों पर शिक्षा मंत्री द्वारा अनावश्यक विवाद खड़ा करके उन्हें पाठ्यक्रम से हटाने की बयानबाजी करना राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की संकुचित सोच और शिक्षा व्यवस्था पर वैचारिक प्रहार है. पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार पाठ्यक्रम से पाठ्यपुस्तकें हटा सकती है, लेकिन लोगों का मन नहीं बदल सकती.