‘भगवान देगा इसे सजा…’, लाखों के गहने चुराने वाली नौकरानी पर मालकिन को आया तरस, FIR करवाने से किया इनकार, कही ये बात

उत्तर प्रदेश के कानपुर से अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है. यहां एक मकान मालकिन ने घर में लाखों के गहने की चोरी की शिकायत पुलिस में की. जानकारी के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की. तब पुलिस को घर में काम करने वाली नौकरानी पर शक हुआ. पुलिस ने मामले में नौकरानी को उसके घर से हिरासत में लेकर पूछताछ की और उसके घर छापेमारी में जेवरात बरामद कर लिए.

इसके बाद पुलिस ने शिकायत करता मकान मालकिन को थाने बुलवाया. नौकरानी महिला के घर में कई सालों से खाना बनाने से लेकर झाडू, पोछा और बर्तन सभी काम करती थी. मालकिन को देखकर वह फूट-फूट कर रोने लगी. इसके बाद मामले में पुलिस अफसर ने पीड़ित मकान मालकिन से नौकरानी के खिलाफ केस दर्ज कराने को कहा, तो उसने रिपोर्ट दर्ज कराने से माना कर दिया.

नौकरानी ने दिया चोरी की घटना को अंजाम

मामला कानपुर के किदवई नगर थाना क्षेत्र H ब्लॉक का है. यहां पुरुषोत्तम बंसल अपनी पत्नी प्रेरणा के साथ रहते हैं. बीते दिनों घर में काम करने वाली परम पुरवा की नौकरानी ने उनकी अलमारी से जेवर चोरी कर लिए थे जो की लाखों रुपए के थे. इसकी सूचना प्रेरणा ने पुलिस को दी थी. इसके बाद घटना की छानबीन पर लगाए गए इंस्पेक्टर धर्मेंद्र राम के नेतृत्व में शक के आधार पर घर में काम करने वाली नौकरानी को पकड़ा गया और हिरासत में लेकर पूछताछ की.

पीड़िता को चोर पर आई दया

पूछताछ में नौकरानी ने चोरी की घटना को कबूल कर लिया और चोरी के जेवरात बरामद कर लिए. इसके बाद मामले में पीड़िता को बुलाया गया, लेकिन सालों से बंसल परिवार की सेवा कर रही नौकरानी को थाने में रोता देख मालकिन प्रेरणा को उस पर दया आ गई.

मालकिन, नौकरानी पर कानूनी कार्रवाई करने से इनकार करने लगी और बोली ‘इसे जाने दीजिए, इसे छोड़ दीजिए सर. इसे इसके कर्मों की सजा भगवान देगा मैं इसे माफ करती हूं. इसने मेरे परिवार की कई सालों तक सेवा की है हमें रोटी बनाकर खिलाई है. मै इसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करना चाहती, इसका परिवार बिखर जाएगा इसके छोटे-छोटे बच्चे हैं’. यह सुनकर थाने में मौजूद सभी पुलिस अफसर स्टाफ अचंभे में पड़ गए. फिलहाल, पुलिस के सामने मालकिन ने अपने जेवरात पहचान लिए और नौकरानी ने भी अपना गुनाह कबूल कर लिया है. लेकिन कानूनी कार्रवाई से नौकरानी बच गई.

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