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गोंडा: अमर किशोर कश्यप फिर बने भाजपा जिलाध्यक्ष, गोंडा में बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन… 

Uttar Pradesh: गोंडा भाजपा जिलाध्यक्ष के चुनाव को लेकर छह महीनों से चल रही सियासी सरगर्मियां उस समय ठंडी पड़ गईं जब चुनाव अधिकारी अशोक सिंह ने अमर किशोर कश्यप के नाम की घोषणा कर दी, इस निर्णय से कुछ कार्यकर्ताओं ने संतोष जताया, तो कुछ ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की.

रविवार को भाजपा कार्यालय में चुनाव अधिकारी अशोक सिंह सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर के साथ पहुंचे। वहां मौजूद विधायक प्रेम नरायन पांडेय, बावन सिंह, प्रभात वर्मा, प्रतीक भूषण सिंह और जिला पंचायत अध्यक्ष घनश्याम मिश्र की उपस्थिति में उन्होंने अमर किशोर कश्यप को पुनः जिलाध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की.

दावेदारों की उम्मीदों को झटका

भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए लगभग एक दर्जन दावेदार मैदान में थे, जिनमें भाजपा जिला महामंत्री आशीष त्रिपाठी, राकेश तिवारी, अर्जुन प्रसाद तिवारी, अनुपम प्रकाश मिश्र, विद्याभूषण द्विवेदी, दीपक अग्रवाल, जसवंत लाल सोनकर, नीरज मौर्या, सूर्य नरायन तिवारी, दीपक गुप्ता आदि प्रमुख नाम शामिल थे, हालाँकि, तय मानकों पर सिर्फ चार ही उम्मीदवार खरे उतर सके, लेकिन संगठन में विघटन न हो और जनप्रतिनिधियों की रणनीति के चलते किसी नए चेहरे को मौका नहीं दिया गया.

लगातार दूसरी बार मिली जिम्मेदारी

अमर किशोर कश्यप को वर्ष 2021 में भाजपा जिलाध्यक्ष बनाया गया था। इससे पहले सूर्य नरायन तिवारी इस पद पर थे, लेकिन डेढ़ साल के कार्यकाल के बाद उन्हें हटा दिया गया और कश्यप को यह जिम्मेदारी मिली, अब तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें फिर से जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जिसका अर्थ है कि आगामी पंचायत और विधानसभा चुनावों में वही पार्टी की कमान संभालेंगे.

देवीपाटन मंडल में दो ओबीसी, दो ब्राह्मण चेहरों को मिली कमान

देवीपाटन मंडल के चार जिलों में भाजपा जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी गई। गोंडा में अमर किशोर कश्यप, बहराइच में ब्राह्मण चेहरा बृजेश पांडेय, बलरामपुर में तुलसीपुर विधायक कैलाश नाथ शुक्ल के दामाद रवी मिश्रा, और श्रावस्ती में मिश्री लाल वर्मा को जिम्मेदारी सौंपी गई। इस बार मंडल में किसी एससी चेहरे को जिला अध्यक्ष पद नहीं मिला, जबकि गोंडा से जसवंत लाल सोनकर ने भी मजबूत दावेदारी पेश की थी।

गोंडा में बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन… 

गोंडा में इस बार बदलाव की उम्मीद जताई जा रही थी और कई लोगों का मानना था कि किसी ब्राह्मण नेता को जिम्मेदारी मिल सकती है। लेकिन अंततः पार्टी ने अमर किशोर कश्यप पर ही भरोसा जताया। इसके बाद कुछ कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय के बाहर नारेबाजी भी की, लेकिन अधिकतर कार्यकर्ताओं ने संगठन की मजबूती के नाम पर इस फैसले को स्वीकार कर लिया.

 

 

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