गोंडा मॉडल: नेपियर घास से हरा चारा, गौसंरक्षण और ग्रामीणों को रोजगार का सफल समन्वय

Uttar Pradesh: गोंडा जनपद में निराश्रित गोवंशों के लिए आश्रय स्थलों की व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक अभिनव पहल ने सराहनीय रूप लिया है. जिलाधिकारी नेहा शर्मा की अगुवाई में जिला प्रशासन द्वारा ‘नेपियर घास’ की खेती को गो-आश्रय स्थलों से जोड़ा गया है, जिससे मवेशियों को पोषणयुक्त हरा चारा और ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार मिल रहा है.

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यह पहल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत क्रियान्वित की जा रही है, जिसमें पशुपालन विभाग की साझेदारी से गोशालाओं में हरे चारे का उत्पादन शुरू किया गया है। नेपियर घास, जो कम संसाधनों में भी पनप सकती है और प्रोटीन-फाइबर से भरपूर होती है, मवेशियों के लिए आदर्श आहार सिद्ध हो रही है.

तेजी से उगने वाली इस घास की खेती वर्तमान में जनपद की 09 गो-आश्रय स्थलों पर सफलतापूर्वक की जा चुकी है, जिनमें झंझरी, पण्डरीकृपाल, रूपईडीह, मुजेहना, हलधरमऊ, कटरा बाजार, परसपुर, बभनजोत और मनकापुर शामिल हैं। 21 अन्य स्थानों पर कार्य प्रगति पर है.

जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बताया, “यह योजना न केवल गोवंश के लिए पोषण सुनिश्चित कर रही है, बल्कि ग्रामीणों को आजीविका के अवसर भी प्रदान कर रही है। हम आने वाले समय में जिले की सभी गौशालाओं को इस मॉडल से जोड़ने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.”

 

इस हरित चारा योजना ने गोंडा जिले को गो-आश्रय स्थलों के संचालन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सशक्त कदम बढ़ाया है। यह मॉडल पशुपोषण, ग्रामीण आजीविका और सतत कृषि को एकसाथ जोड़ने का उत्कृष्ट उदाहरण बन रहा है.

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