Uttar Pradesh: गोंडा में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन शाखा प्रबंधक और कैशियर की मिलीभगत से एक जेल में बंद कैदी के खाते से पैसे निकालने का आरोप है. 18 साल बाद जेल से रिहा होने पर जब कैदी रामभोग को यह पता चला कि, उनके खाते से 47,000 रुपये फर्जी हस्ताक्षर से निकाल लिए गए थे, तो उन्होंने अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई, हालांकि, जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो अंततः न्यायालय के आदेश पर गोंडा के नगर कोतवाली में मामला दर्ज हुआ.
रामभोग, जो कि 21 अप्रैल 2004 को हत्या के मामले में गिरफ्तार हुआ था, 28 जून 2022 तक गोंडा जिला कारागार में बंद था, जेल में बंद होने के दौरान, उनके सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के बड़गांव शाखा स्थित खाते से 18 नवंबर 2014 को 47,000 रुपये निकाले गए थे. जब रामभोग को जेल से छूटने के बाद इस धोखाधड़ी का पता चला, तो उन्होंने तुरंत बैंक और पुलिस अधिकारियों को लिखित शिकायत दी. हालांकि, कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिसके बाद उन्होंने 13 जून 2023 को गोंडा पुलिस अधीक्षक को रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से अपनी शिकायत भेजी. इसके बावजूद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो रामभोग ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अपने वकील रामकरन वर्मा के जरिए एक मुकदमा दायर किया.
न्यायालय ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए नगर कोतवाली पुलिस को तत्कालीन बैंक मैनेजर और कैशियर के खिलाफ जांच और कार्रवाई करने के आदेश दिए. पुलिस ने आरोप लगाया है कि, दोनों आरोपियों ने जेल में बंद रामभोग के खाते से फर्जी हस्ताक्षर करके रुपये निकालने की साजिश की. अब नगर कोतवाली पुलिस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है, और इस धोखाधड़ी में शामिल आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है.
नगर कोतवाली के कोतवाल, मनोज कुमार पाठक ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि, न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया है. और जांच प्रक्रिया जारी है, वे इस मामले को पूरी गंभीरता से ले रहे हैं, और जल्दी ही इस धोखाधड़ी में शामिल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यह मामला न केवल बैंकिंग धोखाधड़ी का है, बल्कि यह जेल प्रशासन और पुलिस के सिस्टम पर भी सवाल उठाता है कि किस तरह से अपराधियों के खाते से बिना किसी निगरानी के पैसे निकाले गए. अब पुलिस इस मामले में सभी तथ्यों की गहनता से जांच कर रही है.